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नीतीश सरकार ने स्वर्ण आयोग को दी नई ताकत, चुनाव से पहले सवर्ण वोट बैंक को साधने की कोशिश

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की आहट के बीच नीतीश सरकार ने स्वर्ण आयोग को नया स्वरूप देकर उसे और अधिक सशक्त बना दिया है। आयोग को नया अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य नियुक्त कर सक्रिय किया गया है। 4 जून को आयोग की अहम बैठक हुई, जिसमें स्वर्ण समुदाय की विभिन्न जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को लेकर गहरी चिंता जताई गई।

नीतीश कुमार की चिंता यह रही है कि अति पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग को साधने के प्रयास में कहीं सवर्ण मतदाता दूर न हो जाएं। इस स्थिति को संतुलित करने के उद्देश्य से सवर्ण समुदाय को साधने की पहल तेज की गई है। राजपूत और भूमिहार जैसे समूहों का रुझान अक्सर भाजपा की ओर रहा है, जबकि कायस्थ और ब्राह्मण परंपरागत रूप से भाजपा के करीबी रहे हैं। ऐसे में एनडीए की ओर सवर्णों की एकजुटता सुनिश्चित करने के लिए यह रणनीतिक कदम उठाया गया है।

आयोग जल्द ही सरकार को कुछ अहम सिफारिशें भेज सकता है। इन सिफारिशों में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में उम्र सीमा में छूट, यूपीएससी और पीसीएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग सुविधा और छात्रावास की व्यवस्था जैसी बातें शामिल हो सकती हैं।

जनगणना आंकड़ों से मिलेगी दिशा
हालांकि स्वर्ण आयोग की स्थापना वर्ष 2011 में हुई थी, लेकिन अब इसे और अधिक प्रभावी माना जा रहा है। आयोग के सदस्यों के अनुसार, अब उनके पास जातिगत जनगणना के आंकड़े हैं, जिससे यह स्पष्ट हो चुका है कि सवर्णों में कितने परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उन्हें किस प्रकार की सरकारी सहायता की ज़रूरत है।

बिहार में ब्राह्मण, कायस्थ, राजपूत और भूमिहार मिलाकर लगभग 15 प्रतिशत आबादी सवर्णों की है। यह आंकड़ा भले ही बहुत बड़ा न हो, लेकिन एकमुश्त वोटिंग की स्थिति में यह किसी भी राजनीतिक समीकरण को बदलने की ताकत रखता है। मिथिलांचल में ब्राह्मणों की प्रभावशाली संख्या है, जबकि भूमिहार समुदाय कई जिलों में निर्णायक भूमिका निभाता है।

तीन समितियों का गठन, रिपोर्ट पर आधारित होगा फैसला
फिलहाल स्वर्ण आयोग ने तीन उप-समितियों का गठन किया है, जो विभिन्न मुद्दों पर गहन अध्ययन कर सिफारिशें तैयार करेंगी। संभावना है कि इन समितियों की रिपोर्ट के आधार पर कुछ प्रस्ताव विधानसभा चुनाव से पहले ही सरकार को सौंपे जाएं। यह भी मुमकिन है कि नीतीश सरकार कुछ सिफारिशों को चुनाव से पहले लागू करने की घोषणा कर दे।