शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग अब हुई पूरी, अब हर माह 5 तारीख तक शिक्षकों को मिलेगा वेतन, डीईओ पर कसी नकेल

Patna: बिहार की शिक्षा व्यवस्था को लेकर जहां एक ओर अक्सर आलोचना होती रही है, वहीं अब शिक्षा विभाग ने एक अहम फैसला लेते हुए शिक्षकों की सबसे पुरानी शिकायत दूर कर दी गई। शिक्षकों को हमेशा एक ही शिकायत रहती थी,“देरी से वेतन” मिलना। जिसको लेकर अब एक ठोस कदम उठाया गया है।
मिले नए निर्देशों के अनुसार, अब राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में काम कर रहे शिक्षकों को महीने से हर 5 तारीख तक वेतन भेज दिया जाएगा। इसके अलावा 15 तारीख तक बकाया वेतन का भुगतान भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस निर्णय को केवल एक “नया सर्कुलर” समझना भूल होगी, क्योंकि इस बार शिक्षा विभाग ने स्पष्ट चेतावनी के साथ यह आदेश जारी किया है। वेतन में देरी की जिम्मेदारी अधिकारी पर तय होगी और कार्रवाई भी होगी।

वेतन रोका तो नौकरी जाएगी
आपको बता दें कि, शिक्षा सचिव सह माध्यमिक शिक्षा निदेशक दिनेश कुमार ने सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों (DEO) को लिखित निर्देश जारी कर दिया है। जिसमें यह साफ कर दिया है कि, अगर किसी जिले में वेतन भुगतान में अनावश्यक देरी हुई, तो संबंधित अधिकारी को जवाब देना होगा। इतना ही नहीं, बल्कि शिक्षा सचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों को अब ‘प्रशासनिक गलती’ नहीं बल्कि “गंभीर लापरवाही” मानी जाएगी।
लंबित वेतन मामलों पर सीधी नजर
इस नई व्यवस्था के तहत अब DEO को यह जिम्मेदारी दी गई है कि, वे हर सप्ताह शिक्षकों के वेतन भुगतान की स्थिति की समीक्षा करें। और बकाया वेतन से संबंधित पुराने मामलों की सूची बनाई जाएगी और उनके निपटारे की रिपोर्टिंग भी अनिवार्य की गई है। एक जिला अधिकारी ने नाम न जाहिर करते हुए कहा, “पहली बार ऐसा है कि मॉनिटरिंग को इतना सख्त बनाया गया है। जिससे सिस्टम में हलचल साफ नजर आ रही है।
शिक्षकों की वर्षों पुरानी मांग आखिर सुनी गई?
शिक्षकों को लंबे समय से यह शिकायत रही है कि महीने खत्म हो जाते हैं, लेकिन वेतन का कोई अता-पता नहीं होता है। कई बार त्यौहारों या स्कूल ज़िम्मेदारियों के समय वेतन न मिलना बड़ी समस्या बन जाता है। इस आदेश को लेकर एक शिक्षक ने बताया, अगर यह सख्ती वाकई ज़मीनी स्तर पर लागू हुई, तो यह बदलाव हमारे लिए बहुत राहत देने वाला होगा।
बिहार में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए पाठ्यक्रम, स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर और बच्चों की सुविधाओं पर काम किया जा रहा है, लेकिन शिक्षक ही अगर हताश होंगे तो शिक्षा कैसे मजबूत होगी? यह आदेश उस मानसिकता को चुनौती देता है जो वेतन को ‘नियम नहीं, कृपा’ समझती थी। अब देखना यह है कि क्या यह निर्देश केवल फाइलों तक सिमटेगा या बिहार के स्कूलों में काम कर रहे हजारों शिक्षकों को इसका वास्तविक लाभ मिलेगा।