पटना में चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों का फूटा गुस्सा, ट्रेड सिपाही व्यवस्था लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी

राजधानी पटना स्थित पुलिस विभाग के केंद्रीय कार्यालय में चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ नाराजगी प्रकट की है। इन कर्मचारियों का आरोप है कि झारखंड और उत्तराखंड जैसे राज्यों में चतुर्थवर्गीय कर्मियों को ट्रेड सिपाही के रूप में समायोजित कर उन्हें पदोन्नति और वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन बिहार में अब तक यह प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है।
चतुर्थवर्गीय कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष रामानुज राय ने बताया कि रसोइया, सफाईकर्मी और नाई जैसे पदों पर कार्यरत कर्मियों को अन्य राज्यों में पदोन्नति के अवसर मिल रहे हैं, जबकि बिहार में वर्षों से सेवाएं दे रहे कर्मचारियों को सिर्फ आश्वासन देकर टाल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संघ द्वारा मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक को कई बार ज्ञापन भी सौंपा गया है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

"अब आर-पार की लड़ाई होगी"
रामानुज राय ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, "हमने नौकरी में आने के बाद से ही इस व्यवस्था की उम्मीद की थी, लेकिन अब रिटायरमेंट के करीब आ चुके हैं और कोई हलचल नहीं दिख रही। अब हम चुप नहीं बैठेंगे, यह लड़ाई निर्णायक होगी।"
संघ के महासचिव मोहन शंकर तिवारी ने बताया कि विभाग में वर्षों से नई नियुक्तियां नहीं की गई हैं, जिससे वर्तमान कर्मचारियों पर काम का बोझ अत्यधिक बढ़ गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि "एक-एक अधिकारी 10-10 कर्मचारियों से निजी काम करवाते हैं और विरोध करने पर सस्पेंड कर दिया जाता है या सेवा से मुक्त कर दिया जाता है। यह बेगारी है और पूरी तरह अन्यायपूर्ण है।"
संघ की प्रमुख मांग है कि बिहार में भी झारखंड और उत्तराखंड की तर्ज पर चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों को ट्रेड सिपाही के रूप में समायोजित किया जाए। महासचिव तिवारी ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र निर्णय नहीं लिया तो बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ा जाएगा। चतुर्थवर्गीय कर्मचारी इससे पहले भी कई बार अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन इस बार वे निर्णायक संघर्ष के मूड में हैं।