पटना के शेल्टर होम में कैसे हुई 3 बच्चियों की मौत, जांच में बड़ा खुलासा, हल्दी और धनिया बना जहर

बिहार की राजधानी पटना में स्थित आसरा गृह (शेल्टर होम) में तीन बच्चियों की मौत और कई बच्चियों के बीमार होने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच रिपोर्ट में फ़ूड पॉइज़निंग की बात सामने आई है। हल्दी पाउडर में लेड क्रोमेट और तैलिय अप्राकृतिक रंग मिला हुआ था, जबकि धनिया पाउडर की गुणवत्ता भी खराब पाई गई। हेल्दी फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड एक्ट 2006 की धारा तीन एक, पांच के तरह यह हानिकार खाद्य पदार्थ में आता है। माना जा रहा है कि इसी कारण आसरा गृह की बच्चियां बीमार पड़ीं और उनमें से तीन की मौत इलाज के दौरान हो गई। राज्य सरकार ने आसरा गृह की अधीक्षिका को भी निलंबित कर दिया है।
दरअसल, पटना के पटेल नगर स्थित आसरा गृह में बीते 7 नवंबर को भोजन करने के बाद 13 लड़कियों की तबीयत बिगड़ गई थी। उल्टी और दस्त की शिकायत के बाद उनमें से एक बच्ची की मौत हो गई। अन्य को इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया गया। जहां बाद में 10 और 13 तारीख को दो और लड़कियों ने दम तोड़ दिया। तीन बच्चियों की मौत के बाद जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। पटना के डीएम ने मामले की जांच के लिए एक कमिटी गठित की। आसरा गृह में परोसे जाने वाले भोजन की जांच के लिए सैंपल भी इकट्ठे किए गए थे।

बिहार सरकार ने तीन बच्चियों की मौत के बाद पटना के पटेल नगर स्थित आसरा गृह की अधीक्षिका को निलंबित कर दिया है। साथ ही सभी कर्मियों को वहां से हटा कर दूसरे कर्मियों की तैनाती की गई है। आसरा गृह में खाद्य सामग्री की सप्लाई करने वाली एजेंसी दीपू इंटरप्राइजेज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
जांच में पाया गया कि आसारा गृह में गंदगी पसरी हुई है। शौचालय की ढंग से सफाई नहीं हो पाई। आसरा गृह में घुटन वाली बदबू फैली हुई है। वहां रहने वालीं संवासिनों के हाथ-पैर पर मैल जमा हुआ था। वे नियमित रूप से स्नान भी नहीं करती हैं। इस आसरा गृह में मानसिक और शारीरिक रूप से विक्षिप्त लड़कियों को रखा जाता है। कुछ लड़कियों के बेड पर पेशाब भी पाया गया, जिसे साफ नहीं किया गया। पानी की टंकी की स्थिति भी बहुत खराब थी।
पटना के आसरा गृह की तीन लड़कियों की फूड पॉइजनिंग से मौत होने के बाद सरकार हरकत में आ गई है। समाज कल्याण विभाग ने सभी जिलों के शेल्टर होम की जांच के आदेश दिए हैं। विभाग ने जिलों से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। जांच टीम में खाद्य संरक्षण पदाधिकारी एवं सरकारी चिकित्सक को शामिल करने का निर्देश दिया गया है। कोई सुधार की जरूरत हो तो उसके भी उपाय कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।