बिहार शिक्षक भर्ती घोटाले में अदालत का बड़ा फैसला, पूर्व शिक्षक मंडेश्वर भगत को दो साल की सश्रम सजा

बिहार के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में सीबीआई की विशेष अदालत ने एक अहम फैसला सुनाते हुए बांका जिले के पूर्व शिक्षक मंडेश्वर भगत को दोषी ठहराया है। विशेष न्यायाधीश सुनील कुमार सिंह की अदालत ने आरोपी को दो वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 40,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अगर वे यह जुर्माना अदा नहीं करते हैं, तो उन्हें छह माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
फर्जी कागजात पर की गई थी नियुक्ति
यह मामला वर्ष 1990 से 1995 के बीच का है, जब भागलपुर जिले के विभिन्न सरकारी स्कूलों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षकों की नियुक्तियाँ की गई थीं। आरोप है कि मंडेश्वर भगत ने अन्य लोगों के साथ मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया और अपने रिश्तेदारों को भी शिक्षक की नौकरी दिलवा दी।

मामले की जांच के दौरान मंडेश्वर भगत पर धोखाधड़ी, कूटरचना और भ्रष्टाचार जैसे संगीन आरोप लगे। अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत दोषी माना और सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
हाईकोर्ट के आदेश से खुली फाइल
इस घोटाले का खुलासा वर्ष 2005 में हुआ, जब पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर पुलिस ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी। सीबीआई ने मामले की गहराई से जांच करते हुए कई प्राथमिकी (FIR) दर्ज कीं और बड़ी संख्या में संदिग्ध नियुक्तियों को चिन्हित किया।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक सत्यजीत सिंह ने अदालत में सरकार का पक्ष मजबूती से रखा। अभियोजन पक्ष की ओर से 31 गवाहों को पेश किया गया, जिनकी गवाहियों के आधार पर अदालत ने मंडेश्वर भगत को दोषी ठहराया और यह सख्त सजा सुनाई।