बिहार पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- मुखिया बनने के लिए आपराधिक मुकदमा होना आम बात

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने बिहार के एक मुखिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि बिहार में मुखिया बनने के लिए आपराधिक मुकदमा होना भी जरूरी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह बात कही। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मुखिया की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की।
सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई चल रही थी। यह मामला बिहार के एक मुखिया से जुड़ा था। मुखिया ने अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कुछ अहम बातें कहीं।

जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि क्या उनके मुवक्किल पर इस मामले के अलावा भी कोई और आपराधिक मुकदमा है। उन्होंने यह भी पूछा कि अगर कोई और मामला है तो उसका ब्यौरा कहां है। वकील ने जवाब दिया कि उनके मुवक्किल पर और भी मामले दर्ज हैं। वकील ने यह भी कहा कि ये सब गांव की राजनीति के चलते हुआ है।
जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिहार में गांव या पंचायत के मुखिया के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होना आम बात है। एक अखबार में छपी खबर के अनुसार उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि उनके साथी जज जस्टिस कोटिश्वर सिंह कह रहे हैं कि अगर किसी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, तो वह बिहार में मुखिया बनने के योग्य ही नहीं है। इसका मतलब है कि बिहार में मुखिया बनने के लिए थोड़ा 'आपराधिक' होना भी जरूरी है।
याचिकाकर्ता के वकील ने बार-बार कहा कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है। वह अग्रिम जमानत की मांग कर रहे थे। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि मुखिया जी को पहले पुलिस के सामने पेश होना होगा और अपनी बात रखनी होगी।