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बिहार में जातीय गणना के मामले में केंद्र ने बदला अपना हलफनामा, सुप्रीम कोर्ट में किया नया दायर

 

केंद्र सरकार ने बिहार में जातीय गणना मामले में पहले दायर किए हलफनामा को वापस लेते हुए एक नया हलफनामा दायर किया है. नए हलफनामे में पुराने हलफनामे के पैराग्राफ 5 को हटा लिया है, जिसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार के अलावा कोई और संस्था को जनगणना या इससे मिलती-जुलती प्रकिया को अंजाम देने का अधिकार नहीं है. बाद में केंद्र ने इस हिस्से को हटाते हुए नया हलफनामा दायर किया.

बिहार जातीय गणना : केंद्र ने वापस लिया हलफनामा, सुधार के बाद सुप्रीम कोर्ट में दोबारा किया दाखिल

आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा दायर किए गए नए हलफनामा में कहा गया है कि- ‘पैरा 5 अनजाने में शामिल हो गया था. नया हलफनामा संवैधानिक और कानूनी स्थिति साफ करने के लिए दायर किया है. वैसे नए हलफनामे से स्पष्ट हो गया कि राज्य जातीय सर्वे या उससे जुड़े आंकड़े जुटा सकते हैं. इससे पहले बिहार सरकार पटना हाईकोर्ट में कह चुकी है कि यह जनगणना नहीं बल्कि सर्वे है. इसके बाद ही पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को सर्वे कराने की हरी झंडी दे दी थी.

बता दें सुप्रीम कोर्ट में गृह मंत्रालय की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में यह भी बताया कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और  अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के कल्याण के लिए सरकार की ओर से सभी जरूरी और समुचित कदम उठाए जा रहे हैं, जो संविधान और कानून के मुताबिक हैं. हलफनामे के मुताबिक, जनगणना एक विधायी प्रक्रिया है, जो जनगणना अधिनियम 1948 के तहत है और केंद्रीय अनुसूची के 7वें शेड्यूल में 69वें क्रम के तहत इसके आयोजन का अधिकार केंद्र सरकार के पास है.