हिंडाल्को चकला कोल प्रोजेक्ट के लिये जमीन देने को लेकर बनी सहमति

चकला कोल माइंस परियोजना को शीघ्र शुरू करने को लेकर मंगलवार को स्थानीय प्रखंड सभागार में तीसरी बार अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) अजय कुमार रजक, अंचलाधिकारी जयशंकर पाठक, पुलिस निरीक्षक रंधीर कुमार तथा हिंडालको कंपनी के यूनिट हेड दीपक लेंका समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक का उद्देश्य परियोजना से प्रभावित ग्रामीणों और कंपनी के बीच संवाद स्थापित करना था। हिंडाल्को प्रबंधन की ओर से आरएनआर (पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन) नीति की जानकारी विस्तारपूर्वक दी गई। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस नीति में जितने भी प्रावधान हैं, कंपनी उनका पूर्णतः पालन करेगी। साथ ही यह भी बताया गया कि भूमि अधिग्रहण पूरी तरह नियमों के तहत किया जा रहा है और सरकार द्वारा तय मुआवजा दर से चार गुना अधिक राशि दी जा रही है।

वहीं, प्रभावित ग्रामीणों ने विकास के विरोधी होने से इनकार करते हुए कहा कि वे केवल अपने अधिकारों की रक्षा चाहते हैं। उन्होंने भूमि अभिलेखों में पाई गई त्रुटियों को दूर करने की मांग की, जिससे आपसी विवाद उत्पन्न न हो। ग्रामीणों का कहना था कि दस्तावेज़ों की गलतियों के कारण भाई-भाई के बीच झगड़े हो रहे हैं।
ग्रामीण प्रतिनिधियों—विकास भगत, हरि भगत, सुरेंद्र उरांव और मो. इजहार—ने कई मांगें लिखित और मौखिक रूप से सामने रखीं। इनमें प्रमुख थीं:
- रैयती भूमि का मुआवजा ₹1.60 लाख प्रति डिसमिल देना
- जीएम और वन भूमि पर मालिकाना हक दिलाकर मुआवजा प्रदान करना
- प्रत्येक बालिग विस्थापित को ₹45,000 मासिक वेतन वाली नौकरी देना
- विस्थापित परिवारों को एनएच किनारे 12 डिसमिल भूखंड देना
- कोयला खनन व परिवहन कार्य में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना
- सर्वे में हुई गलतियों को ठीक कराना
- सामुदायिक वन पट्टा निर्गत करना
एसडीओ अजय कुमार रजक ने बैठक में उपस्थित ग्रामीणों से अपील की कि वे अपनी समस्याओं को नियमों के दायरे में रहकर रखें और किसी भी हाल में कानून को हाथ में न लें। उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि प्रशासन उनकी हर जायज मांग व अधिकार की सुरक्षा हेतु प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी कंपनी कर्मी या अधिकारी से कोई असहमति हो, तो सीधे प्रशासन को सूचित करें, ताकि उचित कार्रवाई की जा सके।