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सोहराई पेंटिंग ने झारखंड को दिलाई नई पहचान, बना इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का हिस्सा, चित्रकार धनंजय को किया गया सम्मानित

दिल्ली के बंगला साहिब रोड पर बने झारखंड भवन की दीवारों पर उकेरी गई सोहराई पेंटिंग न सिर्फ झारखंड की लोक कला का प्रतिनिधित्व कर रही है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिला रही है। यह भव्य पेंटिंग झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करती है और राहगीरों को मंत्रमुग्ध करती है। इस उत्कृष्ट कृति को रांची के कलाकार धनंजय कुमार ने अपने हुनर से सजाया है, और यह पेंटिंग अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुकी है।

सीएम हेमंत सोरेन ने किया था लोकार्पण
झारखंड भवन की यह सोहराई पेंटिंग, अब तक किसी भी इमारत पर बनी सबसे बड़ी पेंटिंग है। 110 फीट ऊंची इस कलाकृति ने रिकॉर्ड बनाते हुए धनंजय कुमार को नया मुकाम दिलाया है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम ने पेंटिंग के सत्यापन के बाद धनंजय को प्रमाणपत्र, मेडल और बुके देकर सम्मानित किया। 3 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड भवन का उद्घाटन किया था और इस पेंटिंग को देखकर उन्होंने अपनी प्रशंसा व्यक्त की थी।

20 दिनों में बनी 110 फीट ऊंची पेंटिंग
धनंजय कुमार ने इस विशाल पेंटिंग को केवल 20 दिनों के अंदर तैयार किया। यह कलाकृति इतनी भव्य है कि इसे कई किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। झारखंड भवन के भीतर भी 200 से अधिक पेंटिंग सजाई गई हैं, जिनके निर्माण में 40 कलाकारों की टीम ने डेढ़ महीने तक मेहनत की।

धनंजय के बनाए चित्रों से सजी हैं झारखंड की प्रमुख इमारतें
धनंजय कुमार झारखंड भवन से पहले भी राज्य के कई महत्वपूर्ण भवनों को अपनी कलाकृतियों से सजा चुके हैं। उनकी पेंटिंग झारखंड हाईकोर्ट, मुख्यमंत्री कार्यालय, राजकीय म्यूजियम और पर्यटन विहार जैसी जगहों पर प्रदर्शित की गई हैं। रांची के डोरंडा में रहने वाले धनंजय पिछले 24 वर्षों से "कलाकृति स्कूल ऑफ आर्ट" चला रहे हैं, जहां बच्चों को पेंटिंग सिखाई जाती है।

130 से अधिक पुरस्कारों से नवाजे गए धनंजय
धनंजय कुमार की कला को न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी सराहा गया है। उन्हें अब तक 130 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी पेंटिंग विदेशों में भी खरीदी जाती हैं, जो उनकी कला की लोकप्रियता को दर्शाती है।

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