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पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी, आम जनता की जेब पर फिर पड़ेगा बोझ

केंद्र सरकार ने आज एक अहम निर्णय लेते हुए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2-2 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की घोषणा की है। यह नई दरें सोमवार रात 12 बजे से प्रभावी होंगी। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में की गई है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है। इस अस्थिरता के पीछे कई वैश्विक कारण हैं—जैसे भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक मांग-आपूर्ति का असंतुलन और हाल ही में अमेरिकी प्रशासन द्वारा कुछ देशों पर लगाए गए टैरिफ।

अब तक केंद्र सरकार पेट्रोल पर 19.90 रुपए और डीजल पर 15.80 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क वसूल रही थी। लेकिन अब इसमें बढ़ोतरी के बाद नई दरें इस प्रकार हो जाएंगी:

पेट्रोल: 21.90 रुपए प्रति लीटर

डीजल: 17.80 रुपए प्रति लीटर

अगर बात रांची की करें तो यहां अंतिम कीमत तय करते समय कई अन्य कारक भी शामिल होते हैं—जैसे डीलर का कमीशन, झारखंड सरकार का वैट और अन्य स्थानीय लागतें। झारखंड में पेट्रोल और डीजल दोनों पर लगभग 22 प्रतिशत वैट लगाया जाता है, जो बेस प्राइस और उत्पाद शुल्क के ऊपर जुड़ता है।

उत्पाद शुल्क केंद्र सरकार के लिए एक अहम राजस्व स्रोत माना जाता है। इसलिए यह माना जा रहा है कि इस कदम के पीछे सरकार का मकसद अपने वित्तीय संसाधनों को मजबूत करना है। हालांकि इसका असर सीधे तौर पर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा, क्योंकि ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी से परिवहन लागत बढ़ती है, जिसका प्रभाव वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर भी नजर आता है।