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पलामू में अवैध खनन पर वन विभाग का शिकंजा, हमलों के बावजूद कार्रवाई तेज

पलामू ज़िले में अवैध खनन के विरुद्ध वन विभाग की मुहिम लगातार जारी है। इस अभियान के दौरान विभाग को हिंसक प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है, जिसमें कई वनकर्मी घायल हुए हैं। वन क्षेत्र के आसपास सक्रिय खनन कार्यों पर विभाग ने सख्ती से निगरानी बढ़ा दी है। इसके चलते कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं और उस पर त्वरित कार्रवाई भी की गई है।

छतरपुर अनुमंडल क्षेत्र में चल रहे अवैध पत्थर खनन को लेकर विभाग ने कई स्टोन क्रशरों को सील कर दिया है और इनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस बीच यह सवाल भी उठे हैं कि वन विभाग को इस तरह की कार्रवाई के लिए कितना कानूनी अधिकार प्राप्त है।

इस पर पलामू के डीएफओ सत्यम कुमार ने स्पष्ट किया कि कार्रवाई विभागीय समन्वय के तहत की जा रही है और इसका मकसद सरकारी राजस्व की चोरी को रोकना है। उन्होंने यह भी कहा कि कार्रवाई सिर्फ भारतीय वन अधिनियम के तहत ही नहीं होती, बल्कि ज़रूरत पड़ने पर संबंधित सक्षम प्राधिकरणों को भी रिपोर्ट भेजी जाती है।

जिला स्तरीय पर्यावरण समिति का क्या है रोल?
खनन से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान और प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए ज़िले में एक पर्यावरण समिति का गठन भी किया गया है। यह समिति हर दो माह में एक बैठक करती है, जिसमें उपायुक्त अध्यक्ष, उप विकास आयुक्त उपाध्यक्ष और डीएफओ सदस्य सचिव होते हैं। इसके अलावा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी, जिला उद्योग प्रबंधन पदाधिकारी, मुख्य कारखाना निरीक्षक, सिविल सर्जन, डीएमओ, उपायुक्त द्वारा नामित दो महिला सदस्य, दो पर्यावरण विशेषज्ञ और दो उद्यमी इस समिति का हिस्सा होते हैं।

यह समिति खनन गतिविधियों के पर्यावरण पर प्रभाव का आकलन कर जरूरी दिशा-निर्देश और अनुशंसाएं जारी करती है ताकि अवैध खनन को रोका जा सके और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।