राज्यपाल संतोष गंगवार ने आचार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम में बढ़ाया प्रतिभागियों का उत्साह

रांची के नगड़ी प्रखंड स्थित कुदलुंग में आयोजित जनजातीय आचार्य प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन समारोह में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए भारतीय संस्कृति, मूल्यों और चिंतन पर आधारित शिक्षा को आदिवासी अंचलों तक पहुँचाने के प्रयासों की सराहना की। विद्या विकास समिति, झारखण्ड द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यभर के 387 प्रशिक्षु आचार्य शामिल हुए।
राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने पहले भी इन कार्यों के बारे में सुना था, लेकिन आज स्वयं इसकी झलक देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। उन्होंने प्रशिक्षण में महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी को विशेष रूप से रेखांकित किया और कहा कि जब एक स्त्री शिक्षित होती है, तो उसका प्रभाव सम्पूर्ण समाज पर पड़ता है। यहाँ जनजातीय महिलाओं की सक्रिय भूमिका समाज के भीतर शिक्षा की गहरी जड़ों का प्रमाण है।

गंगवार ने विद्या विकास समिति द्वारा झारखण्ड में संचालित 213 औपचारिक विद्यालयों और 209 सरस्वती संस्कार केंद्रों की सराहना करते हुए कहा कि ये संस्थान न केवल शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि बच्चों में नैतिकता और सांस्कृतिक मूल्यों का भी सिंचन कर रहे हैं। उन्होंने शहरी मलिन बस्तियों में नि:शुल्क संस्कारयुक्त शिक्षा देने की पहल को सामाजिक सेवा का अद्भुत उदाहरण बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि जनजातीय समुदाय के युवा आज न केवल शैक्षणिक ज्ञान बाँट रहे हैं, बल्कि अपने संस्कारों और संस्कृति को भी अगली पीढ़ी तक पहुँचा रहे हैं। राज्य के 264 प्रखंडों से आए शिक्षकों की सहभागिता को उन्होंने एक राष्ट्र जागरण के रूप में देखा।
राज्यपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनजातीय समाज के प्रति संवेदनशीलता का उल्लेख करते हुए कहा कि झारखण्ड को एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की स्थापना में प्राथमिकता दी जा रही है, जो इस दिशा में बड़ा कदम है।
'विद्या भारती' की उस भावना की सराहना करते हुए कि “कोई भी व्यक्ति मूल्यपरक शिक्षा से वंचित न रहे,” उन्होंने उपस्थित आचार्यों से आग्रह किया कि वे केवल शिक्षक बनकर न रहें, बल्कि संस्कारों के वाहक बनें। उन्होंने कहा, “जो जीवन दूसरों के लिए जिया जाए, वही वास्तव में सार्थक होता है।”
राज्यपाल ने यह भी आश्वासन दिया कि राजभवन राज्य के हर नागरिक के लिए सदा खुला है। उन्होंने कहा कि झारखण्ड के विकास के लिए जो भी सुझाव देना चाहता है, उसका खुले हृदय से स्वागत है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आवश्यकता और दूरगामी प्रभावों पर भी सकारात्मक टिप्पणी की।