हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर सुनवाई जारी, ईडी के खुलासों से बढ़ी मुश्किलें

झारखंड हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर सुनवाई जारी है। यह सुनवाई अब तीसरे दिन में प्रवेश कर चुकी है। पहली सुनवाई 10 जून को हुई थी, जिसमें हेमंत सोरेन की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। सिब्बल ने अदालत को बताया कि जिस 8.86 एकड़ जमीन को लेकर ईडी कार्रवाई कर रही है, वह जमीन हेमंत सोरेन के नाम पर नहीं है। ईडी एक सिविल मामले को क्रिमिनल बना रही है। इस आधार पर उन्होंने अदालत से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर सोरेन को जमानत देने की मांग की।
12 जून को दूसरी सुनवाई में ईडी ने अपना पक्ष रखा। ईडी की ओर से एडवोकेट एसवी राजू ने अदालत को बताया कि हेमंत सोरेन जिस जमीन से अनभिज्ञता जता रहे हैं, वह वास्तव में उनके नाम पर ही है। इस बात की पुष्टि सोरेन के पूर्व प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू ने अपने बयान में की है। बड़गाई अंचल के सीओ और राजस्व कर्मी भानु प्रताप ने भी पूछताछ में यही बताया है।

ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया कि हेमंत सोरेन ने ही विवादित जमीन के सत्यापन का निर्देश दिया था। अभिषेक प्रसाद पिंटू ने बताया कि हेमंत सोरेन के निर्देश पर सीएमओ में कार्यरत उदय शंकर को बरियातू की विवादित जमीन का सत्यापन करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद उदय शंकर ने बड़गाई के तत्कालीन अंचलाधिकारी मनोज कुमार को सत्यापन करने को कहा था। भानु प्रताप भी इस अवैध कब्जे में हेमंत सोरेन की मदद कर रहे थे।
ईडी ने कोर्ट को बताया कि राज्य की सरकारी जमीन पर कब्जा करने के लिए एक सिंडिकेट काम कर रहा था, जिसमें हेमंत सोरेन और उनके अधिकारी शामिल थे। ईडी के अनुसार, भानु प्रताप प्रसाद, सद्दाम हुसैन और अन्य लोग सरकारी जमीनों का फर्जी दस्तावेज बनाते थे और फिर नए दस्तावेज के आधार पर जमीन पर कब्जा कर लेते थे।
ईडी ने बताया कि जमीन के असली मालिक राजकुमार पाहन ने कब्जा होने की शिकायत की थी और जमीन को मुक्त करने का आग्रह किया था। ईडी के अनुसार, हेमंत सोरेन ने इस प्लॉट पर 2009-10 में अवैध कब्जा जमाया था और इस जमीन पर बाउंड्री वॉल भी बना दी गई है। ईडी ने इस प्रॉपर्टी का दो बार सर्वे किया था।