झारखंड की राजनीति में बढ़ती संपत्ति बनी चर्चा का केंद्र, संपत्ति के मामले में हेमंत के आगे निकले भाई बसंत

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार की संपत्ति का खुलासा चुनावी हलफनामों के जरिए हो रहा है। इस खुलासे में न केवल हेमंत सोरेन, बल्कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और भाई बसंत सोरेन की संपत्ति का विवरण सामने आया है। खास बात यह है कि बसंत सोरेन की संपत्ति हेमंत और कल्पना सोरेन से भी ज्यादा है, जो राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है।
हेमंत और कल्पना सोरेन की संपत्ति का ब्योरा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनके पास कुल संपत्ति 2.59 करोड़ रुपये है। उनकी संपत्तियों में नकद ₹45,000, बैंक बैलेंस ₹74.28 लाख, निवेश ₹5.24 लाख और एक वाहन शामिल है। वहीं, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के पास 5.54 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसमें नकद ₹2.05 लाख, बैंक बैलेंस ₹81.31 लाख, निवेश ₹5.54 करोड़ और वाहन शामिल हैं।

बसंत सोरेन की संपत्ति का खुलासा
दुमका के विधायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता बसंत सोरेन के पास 12.68 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसमें नकद ₹5.57 लाख, बैंक बैलेंस ₹3.34 करोड़, निवेश ₹2.62 करोड़, अचल संपत्ति ₹4.45 करोड़ और सोना-चांदी शामिल हैं। बसंत सोरेन के पास दुमका, चास और रांची में कई अचल संपत्तियां हैं और उन्होंने म्युचुअल फंड और तीन कंपनियों में भी निवेश किया है।
हेमंत और बसंत की तुलना में संपत्ति का अंतर
हेमंत सोरेन की कुल संपत्ति: ₹2.59 करोड़ कल्पना सोरेन की कुल संपत्ति: ₹5.54 करोड़ बसंत सोरेन की कुल संपत्ति: ₹12.68 करोड़ इस तुलना से स्पष्ट होता है कि बसंत सोरेन संपत्ति के मामले में अपने भाई-भाभी से कहीं आगे हैं। यह वित्तीय स्थिति न केवल परिवार के अंदरूनी संतुलन को दर्शाती है, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी इसे अहम माना जा रहा है।
क्या बसंत सोरेन हो सकते हैं भविष्य के मुख्यमंत्री?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बसंत सोरेन की बढ़ती संपत्ति और राजनीतिक पहचान उन्हें झारखंड की राजनीति में एक मजबूत दावेदार बना रही है। दुमका से विधायक के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है और चुनाव में यह सवाल भी उठ सकता है कि क्या वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं।
इस बीच, हेमंत सोरेन के राजनैतिक कौशल और उनकी सादगी ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया है, लेकिन उनके छोटे भाई बसंत की संपत्ति और महत्वाकांक्षा से राजनीतिक संतुलन पर असर पड़ सकता है। विधानसभा चुनाव 2024 में यह देखा जाएगा कि यह वित्तीय और राजनीतिक ताकत किस दिशा में झारखंड की राजनीति को ले जाएगी।