कोडरमा : झारखंड के डॉक्टर की फिल्म को दादा साहब फाल्के फिल्म फेस्टिवल में मिला सम्मान

झारखंड का झुमरीतिलैया शहर अब केवल रेडियो पर फरमाइशी गीतों के लिए नहीं, बल्कि सिनेमा के क्षेत्र में भी तेजी से अपनी पहचान बना रहा है। इस बार यह पहचान 15वें दादा साहब फाल्के फिल्म फेस्टिवल में और पुख्ता हुई, जहां कोडरमा के डॉक्टर और फिल्म निर्माता बीरेंद्र कुमार को उनकी फिल्मों के लिए राष्ट्रीय मंच पर सराहा गया।
नई दिल्ली के करनाल रोड स्थित टिवोली ग्रैंड होटल में 1 मई को आयोजित भव्य समारोह में डॉ. बीरेंद्र कुमार और निर्देशक विपिन जाते को दो महत्वपूर्ण पुरस्कारों से नवाजा गया। डॉक्टर बीरेंद्र के 'राजवीर प्रोडक्शन' के तहत बनी भोजपुरी फिल्म 'प्यार से' को ऑफिशियल सलेक्शन अवॉर्ड जबकि म्यूजिक वीडियो 'देखो कहां से कहां आ गए' को फेस्टिवल मेंशन अवॉर्ड प्रदान किया गया।

'प्यार से' फिल्म में गांव की राजनीति और पलायन जैसे गंभीर मुद्दों को संवेदनशीलता से दिखाया गया है, जिसे दर्शकों ने भी सराहा। यह फिल्म न केवल झारखंड और बिहार में बल्कि उत्तर प्रदेश में भी पसंद की गई। इससे पहले इसी फिल्म का चयन जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी हो चुका है।
डॉ. बीरेंद्र कुमार इससे पहले भी दो म्यूजिक वीडियो के लिए दादा साहब फाल्के फिल्म फेस्टिवल से सम्मान पा चुके हैं। वे पेशे से चर्म रोग विशेषज्ञ हैं, लेकिन उनका झुकाव कला, संस्कृति और पर्यटन की ओर भी है। उन्होंने 'आओ चले हम झुमरीतिलैया' जैसा गीत भी तैयार किया है, जिसे मशहूर गायक उदित नारायण ने गाया है और जो आज भी लोकप्रिय है।
डॉ. बीरेंद्र का कहना है कि छोटे शहर से फिल्म निर्माण करना आसान नहीं होता, लेकिन जब राष्ट्रीय स्तर पर मेहनत को मान्यता मिलती है, तो हौसला कई गुना बढ़ जाता है। वहीं फिल्म निर्देशक विपिन जाते ने बताया कि 'प्यार से' में उठाए गए सामाजिक मुद्दों ने ही इसे इस बड़े मंच तक पहुंचाया।
झुमरीतिलैया जैसे शहर से निकली यह उपलब्धि ना सिर्फ कोडरमा को गर्व महसूस कराती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि प्रतिभा किसी सीमित भूगोल की मोहताज नहीं होती।