रघुबर दास ने झारखंड सरकार के बजट को बताया दिशाहीन, कहा-अबुआ बजट में अबुआ को ही कर दिया किनारे

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने हेमंत सोरेन सरकार के बजट पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने इस बजट को "गंधहीन, रंगहीन और दिशाहीन" करार दिया। उनका कहना है कि बजट महज आंकड़ों का खेल नहीं होता, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का माध्यम होता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हेमंत सरकार अब दिन में सपने देखने लगी है और "अबुआ बजट" में खुद "अबुआ" को ही हाशिए पर डाल दिया गया है।
रघुबर दास ने सरकार के उस दावे पर भी सवाल उठाए जिसमें 2030 तक झारखंड की अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन यानी 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाने की बात कही गई है। उन्होंने पूछा कि जब सरकार ने इसे हासिल करने का कोई स्पष्ट खाका ही पेश नहीं किया, तो यह लक्ष्य कैसे पूरा होगा? क्या सरकार झारखंड की विकास दर को 15 प्रतिशत तक ले जाने की योजना बना रही है? अगर हां, तो इसका कोई रोडमैप क्यों नहीं दिख रहा?

पूर्व मुख्यमंत्री ने किसानों और ग्रामीण जनता की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि यह बजट उनके लिए सबसे ज्यादा निराशाजनक साबित हुआ है। किसानों की कर्ज माफी पर सरकार की चुप्पी सवाल खड़े करती है। ग्रामीण विकास के बजट में कटौती कर दी गई है, जिससे गांवों की स्थिति और खराब हो सकती है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने 1.28 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, लेकिन जनवरी तक महज 61 प्रतिशत राशि ही खर्च हो सकी। इस नाकामी पर सरकार के पास कोई ठोस जवाब नहीं है।
इसके अलावा, रघुबर दास ने सरकार को महिलाओं और वृद्धजनों से किए गए वादों की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया था, लेकिन अब सरकार इस मुद्दे पर चुप है। वृद्धा और विधवा पेंशन भी समय पर नहीं मिल रही, जिससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बजट आम जनता की जरूरतों को पूरी तरह अनदेखा कर रहा है और इससे राज्य के विकास की कोई स्पष्ट दिशा नहीं दिखती।