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आदिम जनजाति के सदस्यों की मौत पर ST-SC आयोग सख्त, हजारीबाग डीसी-एसपी से मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड स्थित एनटीपीसी की चट्टी बरियातू कोल परियोजना से जुड़े गंभीर मामले में हजारीबाग के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक से 15 दिनों के भीतर जवाब तलब किया है। यह निर्देश उस घटना के बाद आया है, जिसमें खनन क्षेत्र के पास रहने वाले आदिम जनजाति समुदाय के दो सदस्यों—किरणी बिरहोर और बहादुर उर्फ दुर्गा बिरहोर—की मृत्यु हो गई थी।

यह पूरा मामला सामाजिक कार्यकर्ता मंटु सोनी की ओर से आयोग को की गई शिकायत और उनके द्वारा दर्ज आपत्तियों के आधार पर सामने आया है। आयोग ने पहले डीसी-एसपी से जवाब मांगा था, लेकिन शिकायतकर्ता द्वारा उठाए गए गंभीर सवालों के बाद अब आयोग ने आपत्तियों पर कार्रवाई करते हुए नई रिपोर्ट की मांग की है। सामाजिक कार्यकर्ता मंटु सोनी ने आरोप लगाया है कि खनन शुरू होने से पहले बिरहोर परिवारों को वन अधिकार अधिनियम के तहत पुनर्वास क्यों नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए गलत रिपोर्ट क्यों दी गई और बिरहोर परिवारों द्वारा दिए गए पुनर्वास आवेदन की अनदेखी क्यों की गई।

शिकायतकर्ता ने यह भी पूछा कि सदर एसडीओ की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय जांच दल की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इसके अलावा, दोनों मृतकों के परिजनों को केवल 40 हजार रुपये का मुआवजा किस आधार पर दिया गया और मौत के बाद पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया—यह भी अहम सवाल बने हुए हैं।

प्रोजेक्ट में देरी का दबाव या लापरवाही?
आयोग को बताया गया कि कोयला मंत्रालय ने उत्पादन में देरी के कारण एनटीपीसी की बैंक गारंटी का 30% जब्त कर लिया था। इसी दबाव के चलते जिला प्रशासन और खनन एजेंसियों की मिलीभगत से बिना पर्याप्त सुरक्षा उपायों के खनन कार्य शुरू कर दिया गया, जिससे बिरहोर समुदाय पर खतरा मंडराने लगा और आखिरकार दो लोगों की जान चली गई। अब आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए हजारीबाग डीसी और एसपी को 15 दिनों में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का सख्त निर्देश दिया है।

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