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देश को मिला पहला शैलो वॉटर एंटी-सबमरीन युद्धपोत, INS अर्णाला भारतीय नौसेना में शामिल

भारतीय नौसेना ने बुधवार को अपने पहले एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (ASW-SWC) INS अर्णाला को औपचारिक रूप से कमीशन किया। यह समारोह विशाखापट्टनम के नेवल डॉकयार्ड में आयोजित हुआ, जिसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

इतिहास से प्रेरित नाम, आधुनिक तकनीक से लैस जहाज
INS अर्णाला का नाम महाराष्ट्र के वसई स्थित ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर रखा गया है। यह युद्धपोत खासतौर पर हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की उपस्थिति को मजबूत करने और उथले समुद्री क्षेत्रों में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाकर उन्हें निष्क्रिय करने के लिए तैयार किया गया है।

यह अत्याधुनिक पोत मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता और मेसर्स L&T शिपबिल्डर्स द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत डिज़ाइन और निर्मित किया गया है। INS अर्णाला 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत भारतीय रक्षा क्षेत्र की तकनीकी दक्षता का उदाहरण है। INS अर्णाला को 8 मई को नौसेना को सौंपा गया था और अब यह 16 प्रस्तावित ASW-SWC श्रेणी के जहाजों में से पहला बन गया है जिसे सेवा में आधिकारिक रूप से शामिल किया गया।

पिछले वर्ष की उपलब्धियां
इससे पहले 15 जनवरी 2025 को INS सूरत (डिस्ट्रॉयर), INS नीलगिरि (स्टेल्थ फ्रिगेट) और INS वाघशीर (पनडुब्बी) को भी कमीशन किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस अवसर पर कहा था कि ये अत्याधुनिक युद्धपोत भारतीय नौसेना की ताकत को नई ऊंचाई देंगे।

भारतीय नौसेना की वर्तमान क्षमता
फिलहाल भारतीय नौसेना के पास कुल 135 से अधिक सक्रिय युद्धपोत हैं। इसमें 2 आधुनिक विमानवाहक पोत – INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत शामिल हैं। नौसेना के पास 20 पनडुब्बियां (2 परमाणु-संचालित बैलिस्टिक, 1 परमाणु-संचालित अटैकर, 17 डीजल-इलेक्ट्रिक), 13 डिस्ट्रॉयर, 15 फ्रिगेट्स, 18 कॉर्वेट्स, और अन्य सहायक जहाज जैसे टैंक लैंडिंग शिप, गश्ती पोत और माइंस काउंटर जहाज मौजूद हैं।

भारतीय नौसेना का लक्ष्य है कि वर्ष 2035 तक उसकी कुल युद्धपोत संख्या 175 तक पहुंचे, जिनमें से 50 से अधिक जहाज इस समय निर्माणाधीन हैं।