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रामसूरत राय के मामले पर अशोक चौधरी ने साधी चुप्पी तो निखिल मंडल ने कह दी ये बात

 


बिहार में सरकारी अधिकारियों के तबादले पर विवाद गहरा गया है. तीन सालों से जुलाई के पहले हफ्ते में तबादले पर तकरार दिख रहा है. पिछली बार यानी 2021 में भी भारी बवाल मचा था. नीतीश कैबिनेट के मंत्रियों को इस्तीफे तक की घोषणा करनी पड़ रही है.1 जुलाई 2021 को जेडीयू कोटे से समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने बगावत का बिगूल फूंका था. वजह थी 30 जून तक अधिकारियों का स्थानांतरण नहीं कर पाना. ठीकरा विभाग के प्रधान सचिव पर फोड़ा था. इस बार बारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की आ गई.

राजस्व और भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने पिछले दिनों विभाग में बड़े ट्रांसफर-पोस्टिंग के आदेश दिए थे. सीएम नीतीश कुमार ने इस तबादलों पर रोक लगा दिया था. जिसके बाद इस मुद्दे पर जेडीयू और बीजेपी के नेताओं के बीच तकरार देखने को मिला. जेडीयू प्रवक्ता निखिल मंडल ने कहा कि जो नियुक्त करता है वह समीक्षा की भी अधिकार रखता है. 

प्रवक्ता निखिल मंडल ने रामसूरत राय के बयान की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये किस माफिया की बात कर रहे हैं? पिछले 16-17 सालों से ये माफिया जेल के सलाखों के पीछे सड़ रहे हैं. बड़े-बड़े माफिया जेल में बंद है. उन्होंने कहा कि ठीक है ये जनप्रतिनिधि की सेवा कर रहे हैं. लेकिन बिहार की जनता के सेवा का क्या ? जिसके लिए हमें ये मैंडेट मिला है. 

वहीं, मंत्री अशोक चौधरी ने इस मसले पर कुछ भी बोलने से इंकार किया है. उन्होंने कहा कि रामसूरत राय पर हमारा कोई कमेट नहीं है. जबकि कांग्रेस ने रामसूरत राय को पद से इस्तीफे की मांग की है. 

दरअसल, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सीएम नीतीश कुमार ने रोक लगा दिया. जिसपर मंत्री राम सूरतराय ने एलान कर दिया कि अब विभाग चलाना बेवकूफी है. उन्होंने कहा था कि अब वे जनता की कोई शिकायत नहीं सुनेंगे. 

मंत्री ने विधायकों को भी कह दिया था कि अगर काम कराना है तो सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास जाएं. इसपर जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि रामसूरत राय पर हमारा कोई कमेट नहीं है. इस मुद्दे पर हम किसी भी तरह का कमेंट नहीं करना चाहते हैं. 

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर गड़बडी पाई थी. मुख्यमंत्री ने इस तबादले पर रोक लगाते हुए इसकी समीक्षा के आदेश दिये थे. आरोप है कि ट्रांसफर पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर पैसे का खेल हुआ. सीओ के लिए तीन साल का कार्यकाल तय है लेकिन समय से पहले ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया. ट्रांसफर पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर जातिवाद होने का भी आरोप लगा.