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सुधाकर सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा को दिलाई पुराने दिनों की याद, कहा- मैं आपका पुराना प्रशंसक

 

बिहार के पूर्व मंत्री सुधाकर सिंह ने बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए उनकी तुलना शिखंडी से कर दी थी. जिसपर जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने निशाना साधा। उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट करते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव जी जरा गौर से देखिए-सुनिए अपने एक माननीय विधायक के बयान को और उन्हें बताईए कि राजनीति में भाषाई मर्यादा की बड़ी अहमियत होती है. वहीं अब  सुधाकर सिंह ने भी उपेंद्र कुशवाहा को जवाब दिया है. 

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सुधाकर सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा को सबसे पहले नए साल की शुभकामना दी। उसके बाद  सुधाकर सिंह ने कहा कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूत करने वाले आप जैसे योद्धा का मैं पुराना प्रशंसक रहा हूं। विशेष रूप से नीतीश कुमार को लेकर आपने जो भविष्यवाणियां पिछले कई वर्षों में की है वह अब तक सही साबित होती नजर आई हैं। सुधाकर सिंह ने एक-एक कर बताया है कि कैसे कुशवाहा नीतीश कुमार की नीतियों का विरोध करते रहे। उपेंद्र कुशवाहा को इस बात की याद दिलाई है कि कैसे वह नीतीश कुमार को तानाशाह और अलोकतांत्रिक बताते हुए उनके खिलाफ अभियान छेड़े रखे थे. नीतीश कुमार को शासन से हटाना और बिहार का भविष्य बचाना यह उपेंद्र कुशवाहा का ही नारा था. सुधाकर सिंह ने तारीखों का जिक्र करते हुए उपेंद्र कुशवाहा को उस समय की याद दिलाई है। 

सुधाकर सिंह लिखते है, प्रिय उपेंद्र कुशवाहा जी, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।   आपको जानकर खुशी होगी कि श्री लालू प्रसाद यादव जी की सामाजिक न्याय की लड़ाई को मजबूत करने वाले आप जैसे योद्धा का मैं पुराना प्रशंसक हूं। विशेष रुप से इस वजह से भी कि कई वर्षों पहले आपने नीतीश कुमार के बारे में जो भी भविष्यवाणीयां की थीं वह आज सच साबित हो रहीं है। मुझे ठीक ठीक याद है कि आपने 9 दिसम्बर 2011 को  नीतीश कुमार को तानाशाह और अलोकतांत्रिक बताते हुए जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा दे दिया था। उस समय मुझे भी आपके इस वक्तव्य पर आश्चर्य हुआ था मगर आज आपकी दूरदर्शिता पर गर्व महसूस होता है। 2018-2019 में आपने नीतीश कुमार के कार्यकाल को बिहार का सबसे खराब दौर कहा था जिस दौरान बिहार की शिक्षा व्यवस्था पुरी तरह से चरमरा चुकी है। उस दौरान आपकी नजर में नीतीश कुमार सरकार चलाने के लायक नहीं थे। इन सटीक विश्लेषणों के लिए मेरा साधुवाद स्वीकार कीजिए। 

सुधाकर सिंह ने आगे लिखा, 'मैंने अपने राजनैतिक जीवन काल का सबसे खौफनाक मंजर रविवार 15 मार्च 2009 को देखा था, जब आपके सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारी संख्या में पुलिस बल भेजकर आपकी गैर मौजूदगी में आपकी वृद्ध माता जी, धर्मपत्नी समेत घर के तमाम सदस्यों को राजनीतिक सुचिता अथवा मर्यादा का खयाल किए बगैर जबरन बाहर निकालकर सरकारी आवास खाली करवाया था. हम लोग आज भी आपके साथ हुए दुर्व्यवहार को याद करके शर्मिंदगी महसूस करते हैं. 

आपने बिहार के हितों के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं। कृषि मण्डी कानून आपकी पार्टी रालोसपा के घोषणा पत्र का प्रमुख हिस्सा था जिसकी लड़ाई आज भी मैं लड़ रहा हूं। यहां तक कि नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार के बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर आपने आमरण अनशन भी किया था जिसे हमारे नेता श्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने ही आपको जूस पिलाकर खत्म करवाया था। आपने जब पूरे बिहार में खीर पकाने की बात की तो हमने पुरी तन्मयता के साथ बिल्ली से उस खीर की रक्षा के लिए तैयारी की। मगर हमें क्या पता था कि खुद बाघ ही बिल्ली को खीर की हांडी परोस आयेगा और खीर बनाने वाले को एक चम्मच खीर भी नसीब नहीं होगा। 

रही बात नीतीश कुमार को शिखंडी कहे जाने कि तो यह संज्ञा राजद के द्वारा आधिकारिक तौर पर कई वर्षों पहले ही नीतीश कुमार को दी जा चुकी है, उसे सहर्ष स्वीकारने के बाद ही नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल से अपनी सरकार बचाने के लिए सहयोग की गुजारिश करने आए थे। आपकी सुविधा के लिए पूर्व में आपके द्वारा दिए गए वक्तव्यों एवं अनुभवों से सम्बन्धित खबरों की कुछ तस्वीर आपसे साझा कर रहा हुं। हो सके तो इसको फ्रेम करवा कर घर में लगवा लिजिए ताकि भविष्य में आपको भी अपनी जिम्मेवारी का एहसास होता रहे और पूर्व की तरह आगे भी आप हमें मार्गदर्शित करते रहें। 


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