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राज्यसभा में संजय झा और लोकसभा में दिलेश्वर कामत को बड़ी जिम्मेदारी, JDU ने बनाया संसदीय दल का नेता

 


नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने लोकसभा में दिलेश्वर कामत को संसदीय दल का नेता चुका है। तो वहीं राज्यसभा में संजय झा जदयू के नेता होंगे। सुपौल से दूसरी बार सांसद बने दिलेश्वर कामत महादलित है। वहीं संजय झा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं और पार्टी में उनकी अहम जगह है। बिहार सरकार में वो मंत्री भी रह चुके हैं। जेडीयू ने राज्यसभा चुनाव के लिए संजय झा को उम्मीदवार बनाया था लेकिन उनके विरोध में कोई प्रत्याशी न होने की वजह से वे निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।

वहीं दिलेश्वर कामत महादलित वर्ग के बड़े चेहरों में एक हैं। लोकसभा चुनाव में सुपौल सीट पर उन्होने बड़े अंतर से आरजेडी के चंद्रहास चौपाल को 1,69,803 वोटों से मात दी थी। दिलेश्वर दूसरी बार सुपौल से सांसद चुने गए हैं। इससे पलले जेडीयू ने एमएलसी उपचुनाव के लिए भगवान सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। इसे कोइरी वोटबैंक को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश का ये बड़ा दांव मााना जा रहा है।

 

आपको बता दें जेडीयू संसदीय दल की बैठक में सारे फैसले के लिए नीतीश कुमार को अधिकृत किया गया है। लोकसभा चुनाव में 16 सीट लड़कर 12 सीट जीती जेडीयू एनडीए के साथ है। दिल्ली में मोदी मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण से पहले नीतीश कुमार की अध्यक्षता में संसदीय दल की हुई बैठक में नीतीश कुमार को संसदीय दल का नेता चुनने के साथ-साथ बाकी फैसला करने का अधिकार सौंप दिया गया था। 

 

आपको बता दें जेडीयू संसदीय दल की बैठक में सारे फैसले के लिए नीतीश कुमार को अधिकृत किया गया है। लोकसभा चुनाव में 16 सीट लड़कर 12 सीट जीती जेडीयू एनडीए के साथ है। दिल्ली में मोदी मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण से पहले नीतीश कुमार की अध्यक्षता में संसदीय दल की हुई बैठक में नीतीश कुमार को संसदीय दल का नेता चुनने के साथ-साथ बाकी फैसला करने का अधिकार सौंप दिया गया था। 

इससे पहले बिहार में महागठबंधन का नेतृत्व करने वाली लालू यादव की पार्टी आरजेडी ने अभय कुशवाहा को लोकसभा में राजद संसदीय दल का नेता बनाया है। वहीं राज्यसभा में प्रेमचंद गुप्ता को जिम्मेदारी दी है। पहली बार सांसद बने अभय कुशवाहा को बड़ी जिम्मेदारी देने को लेकर सियासी चर्चा भी तेज है। वहीं, मीसा भारती को इस बार संसद में कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है।