Bihar Voter List: चुनाव से पहले बिहार में वोटर लिस्ट विवाद, सुप्रीम कोर्ट में 10 जुलाई को होगी सुनवाई

निर्वाचन आयोग के 24 जून के निर्देशों को चुनौती
राज्यसभा सांसद मनोज झा सहित कई नेताओं की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार की
10 जुलाई को न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की पीठ सुनवाई करेगी
याचिकाकर्ताओं ने मतदाता सूची पुनरीक्षण को "राजनीतिक प्रेरित" बताया
चुनाव आयोग ने प्रक्रिया को नियमित और लोकतांत्रिक बताया
आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र मामला बेहद संवेदनशील
Bihar: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच निर्वाचन आयोग द्वारा 24 जून को जारी किए गए विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण आदेश पर सियासी घमासान तेज़ हो गया है। इस निर्देश को "असंवैधानिक और जनविरोधी" करार देते हुए राज्यसभा सांसद मनोज झा समेत कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से मांग की है, कि चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया जाए। इसके साथ ही इस प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाई जाए। कोर्ट ने सुनवाई के लिए मामला स्वीकार किया है, लेकिन अभी तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।

राजनीतिक टकराव:
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह पुनरीक्षण प्रक्रिया वोटर लिस्ट से जानबूझकर कुछ समुदायों या वर्गों के नाम हटाने की मंशा से की जा रही है, जो कि लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि यह एक पारदर्शी और पूर्व निर्धारित प्रक्रिया है, जो हर राज्य में समय-समय पर की जाती है।
राज्य में सत्ताधारी दल और विपक्ष इस प्रक्रिया को अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं। जहां विपक्ष इसे जनाधिकारों पर हमला बता रहा है, वहीं सरकार चुनाव आयोग की मंशा और प्रक्रिया पर भरोसा जता रही है।
क्या होगा अगला कदम?
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 10 जुलाई को होनी है, जो तय करेगा कि यह पुनरीक्षण प्रक्रिया जारी रहेगी या इसे रोक दिया जाएगा। बिहार के राजनीतिक में इस फैसले का गहरा असर पड़ सकता है।