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बिहार में BJP का बड़ा दांव, सवर्ण और अतिपिछड़ा डिप्टी CM बनाकर ‘मिशन 2024’ को साधने की कोशिश, समझिए समीकरण

 

बिहार की सत्ता की ड्राइविंग सीट के बगल में एक बार फिर से भाजपा को बैठने का मौका मिल गया. ड्राइविंग सीट पर अभी भी जदयू ही है. लोकसभा चुनाव के कुछ महीने पहले बिहार में बदले राजनीतिक समीकरण भाजपा के लिए बूस्टर की तरह हैं. ‘मिशन 2024’ को साधने के लिए बिहार में भाजपा ने दो नए डिप्टी सीएम बनाकर भी बड़ा दांव चला. जिसमें जातीय समीकरण की ध्रुव पर चक्कर काटती बिहार की राजनीति का भी खूब ख्याल रखा गया है.  कुशवाहा यानि अतिपिछड़ा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी और सवर्ण समाज से आने वाले विजय कुमार सिन्हा को डिप्टी सीएम बनाया जाना जातीय समीकरणों का प्रमाण है. 

BJP सवर्ण वोटरों को छोड़ना नहीं चाहती

सवर्ण भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं. खास कर बिहार में लालू यादव के समय की मंडल-कमंडल वाली राजनीति के समय ही बहुत बड़ा सवर्ण वोट भाजपा की तरफ शिफ्ट हुए था. इसलिए भाजपा किसी भी कीमत पर अपने कोर वोटरों को छिटकने नहीं देना चाहती है. पिछले कुछ समय से इस बात की चर्चा भी खूब हो रही थी की सवर्ण भाजपा से थोड़े नाखुश है. लेकिन पिछले कुछ समय से भाजपा ने बिहार में एक सवर्ण चहरे को तवज्जो दिया है ताकि सवर्ण वोटरों पर पकड़ बनी रहे.
इसका एक उदाहरण पहले देखने को मिला जब विपक्ष में आते ही भाजपा ने विजय कुमार सिन्हा को बिहार विधानसभा का  नेता प्रतिपक्ष बनाया. जब भाजपा, जदयू के साथ सत्ता में थी तब विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा के स्पीकर का पद मिला था. विपक्ष में आते ही भाजपा ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बना दिया. वहीं अब विजय कुमार सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाकर भाजपा सवर्ण वोटरों को टारगेट कर रही है. 

लव-कुश समीकरण को साधने कोशिश

बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों का हमेशा से बोलबाला रहा है। एक समय पर एमवाई(मुस्लिम-यादव) समीकरण बिहार की सत्ता की चाभी बन गई थी. उसके बाद लव-कुश(कुर्मी-कुशवाहा) समीकरण ने उसकी जगह ली. अब इसी समीकरण में भाजपा ने सेंधमारी की योजना बना ली है। चूंकि एमवाई समीकरण में कोई सेंधमारी कर पाना अभी भी भाजपा के लिए कठिन है. यही कारण है कि पहले बिहार भाजपा की कमान कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को सौंपी गई . वहीं अब उनको उप्मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा लव-कुश समीकरण को पूरी तरह से सेट करने की तैयारी में है. जिसका फायदा आगामी लोकसभा चुनाव में मिल सकता. गौर करने वाली बात ये है कि नीतीश कुमार भी इसी समज से आते हैं . मतलब साफ है की भाजपा ने एनडीए गठबंधन की पैठ लव-कुश समाज में पूरी तरह से बनाने की कोशिश है.