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चुनाव से पहले 'INDIA' गठबंधन टूटा? ममता-मान का ऐलान, अखिलेश-नीतीश की कश्मकश

 

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अभी 3 दिन भी नहीं बीते, कांग्रेस को एक के बाद एक झटके लगने शुरू हो गए हैं. पहले पंजाब के सीएम भगवंत मान ने पंजाब की सभी सीटों पर जीत का ऐलान किया. इसके कुछ देर बाद ही पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. अखिलेश यादव पहले से ही कश्मकश में हैं. अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार के सुर भी बदले नजर आ रहे हैं.

इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर कई मतभेद हैं, घटक दल लगातार कांग्रेस के साथ बातचीत कर सीट बंटवारे पर सहमति बनाने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन मामला कहीं न कहीं अटक ही जाता है. अखिलेश ने आरएलडी से गठजोड़ का तो ऐलान कर दिया है, लेकिन गठबंधन के मुद्दे पर अभी कुछ साफ तौर पर नहीं कहा. ऐसे में सवाल उठने लगे कि क्या इंडिया गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है. यदि सब कुछ ठीक है तो फिर पर सीट शेयरिंग पर मामला कहां फंसा है.

इंडिया गठबंधन को लेकर आम आदमी पार्टी और टीएमसी के अलावा अखिलेश यादव और नीतीश कुमार में भी कश्मकश है. नीतीश कुमार बुधवार को परिवारवाद पर तंज कसते नजर आए. ऐसे में कई राजनीतिक जानकार का मानना है कि नीतीश कुमार का यह तंज कांग्रेस और आरजेडी के लिए ही हो सकता है, क्योंकि न तो कांग्रेस ने इससे छुटकारा पाया है और न ही आरजेडी इससे छुटकारा पा सकती है. ऐसे में इस बात का अंदाजा फिलहाल तो नहीं लगाया जा सकता कि नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा? अखिलेश क्या करेंगे इसे लेकर भी सस्पेंस है. अखिलेश ने आरएलडी से गठजोड़ का ऐलान कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने उसका गठजोड़ नहीं हो पा रहा है. पहले ये माना जा रहा था कि मायावती भी गठबंधन का हिस्सा होंगी, लेकिन मायावती ने सार्वजनिक तोर पर इसका ऐलान कर दिया कि ऐसा नहीं होगा.

इंडिया गठबंधन में मची इस कश्मकश पर राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि मुझे पहले ही दिन से इस बात की आशंका थी की इंडिया गठबंधन का भविष्य अच्छा नहीं है. इसकी वजह ये है कि यहां कोई भी किसी के लिए स्पेस नहीं छोड़ना चाहता. सारे घटक दल ये सोचते हैं कि कहीं कांग्रेस मजबूत न हो जाए. दरअसल 2024 चुनाव का मुख्य खिलाड़ी कांग्रेस है. घटक दलों में यदि, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव या भगवंत मान हारते भी हैं तो उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन कांग्रेस के लिए ये बड़ा झटका होगा. इसीलिए कांग्रेस कोशिश कर रही है कि सबको जोड़े रखे, लेकिन ममता ने जो ऐलान किया है, उसके बाद लगता है कि ये हवा बिहार होते हुए यूपी तक आ सकती है.

इसका एक कारण ये भी है कि घटक दलों को ये भी डर है कि कहीं मुस्लिम वोट कांग्रेस के हाथ में न चला जाए. फिलहाल मुस्लिम वोटों का सबसे ज्यादा झुकाव कांग्रेस की ओर से है. बड़ी अजीब बात तो ये है कि खरगे को गठबंधन से पीएम प्रोजेक्ट करने वाली ममता बनर्जी ही धीरे से गठबंधन से बाहर निकल गईं.

कहा जा रहा है कि जिस तरह से इंडिया गठबंधन का विस्तार हुआ और उसके प्रारंभिक समय से ही इंडिया गठबंधन में जो अड़चने आईं, इसमें कोई दो राय नहीं वो इस वक्त भी मौजूदा दिखाई पड़ती हैं. पंजाब हो या बंगाल, चाहे हो बिहार और यूपी. कहीं भी स्पष्टता नहीं है. समझ में तो ये भी नहीं आ रहा कि बसपा की स्पष्टता के बाद सपा और कांग्रेस के बीच आखिर दिक्कत कहां आ रही है. फिलहाल कांग्रेस के लिए ये बेहद संवेदशनील स्थिति है. यह एक ऐसा पड़ाव है जहां कांग्रेस को पूरी ऊर्जा और स्ट्रेटजी के साथ गठबंधन को कायम रखना होगा. इसके लिए पूरी सूझबूझ लगानी होगी.

इंडिया गठबंधन में खींचतान पर राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि यूपी में तो गठबंधन हो ही जाएगा, क्योंकि न तो कांग्रेस के पास कोई विकल्प है और न ही सपा के पास. इसीलिए अपमान का घूंट पीकर भी अखिलेश गठबंधन का हिस्सा बना चाहते हैं. अब रही बात ममता बनर्जी और आम आदमी पार्टी की तो न तो ममता का वोट पंजाब में और न ही अखिलेश का महाराष्ट्र में. दरअसल इस गठबंधन की पूरी कवायद मुस्लिम वोट की है, ताकि किसी भी तरह मुस्लिम वोट हाथों से न खिसके. इसके अलावा कांग्रेस ये चाहती है कि दक्षिण भारत में भाजपा को स्टालिन हरा दे, पंजाब और दिल्ली में बीजेपी से केजरीवाल लड़ रहें, बिहार में लालू और नीतीश तथा यूपी में अखिलेश और बंगाल और में ममता बनर्जी भाजपा का मुकाबला करें, लेकिन पीएम राहुल गांधी हो जाएं. यह कैसे संभव है. एक और बात ये है कि यूपी, बिहार, पंजाब, बंगाल के गठबंधन में दिक्कत आ रही है, लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेता असम और नॉर्थईस्ट में घूम रहे हैं. ये तो बिल्कुल ही समझ से परे हैं.