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मनोज झा ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को बताया दुर्भाग्यपूर्ण, अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा राजद

 

बिहार में आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 फीसदी करने को नीतीश सरकार के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। जिसके बाद से ही राज्य की सियासत गरमा गई है। वहीं अब इस मामले में राजद ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे को घटघटाने की बात की है। राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस मामले को लेकर कहा है कि कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है, औऱ वो और ज्यादा सबूत इकठ्ठा कर सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। मनोज झा ने दावा किया है कि फैसला उनके पक्ष में ही होगा। 

मनोज झा ने कहा कि, बिहार में सीएम नीतीश और तेजस्वी यादव के कार्यकाल में जो आरक्षण के दायरें को बढ़ाया गया था, उस पर जो रोक लगी है वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे फैसले फासले बढ़ाते हैं। समाजिक न्याय के मंजिलों को हासिल करने में। उन्होंने कहा कि हमें यादव है तमिलनाडु को बहुत वर्ष संघर्ष करना पड़ा था। हम भी करेंगे। उन्होंने कहा कि पर्दे के पीछे से कौन लोग हैं जो ये काम करवाने को उत्सुक हैं।

मनोज झा ने कहा कि, नेता प्रतिपक्ष ने हर सभा में कहा था कि, इसको नौवीं अनुसूची में शामिल करिए। लेकिन ना करने के नतीजे में क्या हासिल हुआ। मनोज झा ने कहा कि, केंद्र की सरकार में नीतीश जी का अहम योगदान है ऐसे में आग्रह करेंगे कि वो ऊपरी अदालत में जाएं और अपने बड़ी अबादी के हक को मांगे। ये संघर्ष बड़ा जरुर होगा लेकिन हम इसके लिए तैयार हैं। 

वहीं नीट पेपर लीक मामले में विजय सिन्हा ने तेजस्वी यादव को घेरा है। उन्होंने तेजस्वी के पीएस पर मास्टरमाइंड के कमरे को बूक कराने का आरोप लगाया है। जिसको लेकर मनोज झा ने कहा कि, नेट की परीक्षा रद्द हुई है, नीट की भी परीक्षा रद्द हो। इस मामले में तेजस्वी यादव का नाम घुसाना उनके अल्प ज्ञान को दर्शाता है। बिहार में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। ये लोग सरकार में रहने वाले नहीं है। ये लोग संविधान की शपथ लेते हैं इन्हें शर्म आना चाहिए।

देश में वर्तमान में 59.5 फीसदी आरक्षण है. इसमें OBC को 27 फीसदी, SC को 15 और ST को 7.5 फीसदी आरक्षण मिला हुआ है. इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग(EWS) के लोगों को भी 10 फीसदी का आरक्षण मिलता है. आपको बता दें कि, पहले देश में 49.5 फीसदी ही आरक्षण था फिर साल 2019 में EWS को 10 फीसदी का आरक्षण मिला. नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देने को सही ठहराया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, ये कोटा संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता.