"अब इधर-उधर नहीं जाएंगे" CM नीतीश ने तोड़ दी चुप्पी, कयासों पर लगाया विराम
14 दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सबसे ताकतवर दूसरे नंबर के नेता अमित शाह के एक बयान ने बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की राजनीति को हिला दिया। उसके बाद मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने ऐसी चुप्पी साधी कि दिल्ली से लेकर पटना तक सहयोगी दलों को पसीना आ गया। भाजपा नेता एक के बाद एक बयान देने लगे और स्पष्ट शब्दों में बताने लगे कि विधानसभा चुनाव 2025 नीतीश के नेतृत्व में लड़ेंगे और आगे उनके नेतृत्व में ही सरकार बनेगी। तब जाकर नीतीश ने सीतामढ़ी में गुरुवार को चुप्पी तोड़ी और दोहराया कि दो बार गलती हो गई लेकिन अब इधर-उधर नहीं जाएंगे और साथ में रहकर राज्य और देश का विकास करेंगे।
प्रगति यात्रा पर नीतीश 23 दिसंबर से निकले हुए हैं लेकिन पिछले चार दिनों में उनका इस मसले पर ये पहला बयान है। 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर संपन्न कार्यक्रम के बाद भी वो मीडिया को दूर से नमस्ते करके निकल गए थे। 19 और 20 दिसंबर को पटना में आयोजित निवेशक सम्मेलन से भी वो दूर रहे जिसमें राज्य में 1.80 लाख करोड़ के निवेश के सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए। प्रगति यात्रा के तहत सीतामढ़ी पहुंचे नीतीश कुमार ने समीक्षा बैठक में कहा- “हम दो बार गलती से इधर से उधर (महागठबंधन) चले गए थे। अब हम लोग हमेशा साथ (एनडीए) रहेंगे और बिहार के साथ देश का विकास करेंगे।”
नीतीश के इस बयान का इंतजार बीजेपी को पिछले दो सप्ताह से था। अमित शाह ने दिल्ली में एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में एकनाथ शिंदे का उदाहरण देकर बिहार चुनाव में नेतृत्व को लेकर सवाल किया था जिस पर भाजपा के सबसे सफल अध्यक्ष रहे अमित शाह ने कहा था कि इस तरह के कार्यक्रम में ऐसे फैसले नहीं होते। सब लोग साथ बैठकर तय करेंगे और जब तय करेंगे तो आप लोगों को बताएंगे। इसका राजनीतिक मतलब यह निकाला गया था कि 2025 के चुनाव में नीतीश के नेतृत्व को लेकर भाजपा ने अपना मन अभी अंतिम रूप से नहीं बनाया है।