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महिला यह नहीं कर सकती, इस सोच से लड़ना ही महिला सशक्तिकरण

 
पटना: नारी सृष्टि की रचयिता है। महिला यह नहीं कर सकती, इस सोच से लड़ना ही महिला सशक्तिकरण है। राजनीतिक दलों में महिलाओं की भागीदारी को अनिवार्य करना होगा। नारी शक्ति वंदन अधिनियम से संसद और विधानसभाओं में आधी आबादी का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। रविवार को बीआईए सभागार में ‘महिला सशक्तिकरण और राजनीति में भागीदारी’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं के बीच यह आम राय उभरी। 
संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि व उत्तरप्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने कहा कि बिहार की प्रकृति और आमजन की प्रवृति में बदलाव महिलाओं के लिए सुखद संकेत है। उन्होंने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी 50 फीसदी करने की वकालत की।
उद्घाटनकर्ता व जमुई की विधायक श्रेयसी सिंह ने कहा कि महिलाओं को हीन भावना से ऊपर उठना होगा। शुरुआती अड़चनों के बाद सफलता आपके कदम चूमेगी।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महापौर सीता साहू ने महिलाओं की जागरूकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि आज आर्थिक रूप से कमजोर होने से कई महिलाएं राजनीतिक भागीदारी से वंचित रह जाती हैं।
मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष दिलमणि देवी ने कहा कि आज जीवन के हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी श्रेष्ठता का परचम लहरा रही हैं।
संगोष्ठी पाटलीपुत्र महिला उत्थान मंच के बैनर तले आयोजित की गई थी। संचालन भाजपा पटना महानगर महिला मोर्चा की अध्यक्ष सोनी मिश्रा ने किया। इस अवसर पर अर्चना ठाकुर, अनामिका शंकर, सिम्मी सिन्हा, इन्दु देवी के अलावा विविध संगठनों की प्रतिनिधि और सैकड़ों की संख्या में महिलाएं मौजूद थीं। इससे पहले अतिथियों ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। सुलभा सिन्हा ने वंदे मातरम और डॉ. सिंधु ने स्वागत गान गाया। धन्यवाद ज्ञापन पिंकी यादव ने किया।