पैरालंपिक में बिहार के लाल का कमाल, शरद कुमार ने जीता सिल्वर मेडल, जानिए पूरी कहानी

बिहार भले ही गरीब राज्यों की लिस्ट में आता है, लेकिन यहां प्रतिभाओं की कभी नहीं है. राजनीति से लेकर खेल तक यहां के लोगों में टैलेंट कूट-कूट कर भरा है. बस एक मौके का इंतजार रहता है, जिसे मिलता है. वह अपना परचम लहरा देता है. अकसर देखा जाता है कि बिहार के खिलाड़ी ओलंपिक जैसे प्रतियोगिता में ना के बराबर देखने मिलते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. अभी पेरिस में पैरालंपिक चल रहा है. इसमें बिहार के लाल ने अपनी प्रतिभा लोहा मनवाया है. आइए शरद कुमार के बारे में जानते हैं.
32 साल के शरद कुमार ने 1.88 मीटर की कोशिश से T63 वर्ग में सिल्वर मेडल पर कब्जा किया. शरद कुमार ने करीब 3 साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में कांस्य पदक जीता था. दरअसल, T63 वर्ग एकल घुटने या घुटने से ऊपर के अंग में कमजोरी वाले खिलाड़ियों के लिए है. साल 2017 से लेकर 2021 में टोक्यो पैरालंपिक में ऊंची कूद में कांस्य पदक जीतने तक शरद कुमार ने खार्कीव में येवहेन से ट्रेनिंग ली थी.

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले शरद को स्थानीय उन्मूलन अभियान के दौरान नकली पोलियो दवा की वजह से बाएं पैर में लकवा मार गया था. शरद कुमार एशियाई पैरा खेलों (2014 और 2018) के ऊंची कूद के दोहरे चैंपियन और विश्व चैंपियनशिप (2019) के सिल्वर मेडल विजेता हैं. देश की राजधानी दिल्ली के फेमस जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से शरत कुमार ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर डिग्री हासिल की है. शरद कुमार को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया जा चुका है.