बिहार वोटर लिस्ट से 35.5 लाख नाम गायब होने की तैयारी, चुनाव से पहले ‘डेमोग्राफिक ब्लास्ट’

Bihar: बिहार में मतदाता सूची को लेकर इतिहास की सबसे बड़ी सर्जरी चल रही है। चुनाव आयोग की "विशेष गहन पुनरीक्षण" प्रक्रिया के तहत राज्य में 35.5 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। आंकड़े जितने तकनीकी दिखते हैं, हकीकत उतनी ही राजनीतिक है। ये बदलाव 2025 के विधानसभा चुनाव की दिशा और समीकरणों को बदल सकते हैं।
कौन-कौन हैं कटने वाले नामों में?
Election Commission के मुताबिक, कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से:
- 1.59% (≈12.5 लाख): मृत मतदाता पाए गए
- 2.2% (≈17.3 लाख): स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए
- 0.73% (≈5.76 लाख): फर्जी या दोहरे पंजीकरण वाले
यानी कुल 35.5 लाख वोटर अब लिस्ट से बाहर हो सकते हैं। यह आंकड़ा कई विधानसभा सीटों का गेम पलट सकता है।
डाटा वॉर शुरू: किन्हें फायदा, किसे नुकसान?
विशेषज्ञों का मानना है कि शहरी प्रवासियों, मृतक बुजुर्ग आबादी और दोहरे पंजीकरण से ज्यादातर मध्यम वर्ग, बुजुर्ग और पारंपरिक वोट बैंक प्रभावित होते हैं।राजनीतिक दल अब इस ‘डेटा-सर्जरी’ का विस्तार से विश्लेषण करने में व्यस्त हैं, क्योंकि हर हटाया गया नाम = बदला हुआ समीकरण है।

डिजिटल रजिस्ट्रेशन का नया चेहरा-ECINet
आपको बता दें कि, अब तक मतदाता सूची प्रबंधन 40 से ज्यादा ऐप्स में बंटी हुई थी, लेकिन अब ECINet नामक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सब कुछ हो रहा है:
- अब तक 5.74 करोड़ फॉर्म अपलोड
- 83.66% मतदाताओं ने गणना फॉर्म जमा कर दिया
- शेष 11.82% मतदाताओं के पास है 25 जुलाई तक का अंतिम मौका
ड्राफ्ट रोल प्रकाशित होने के बाद यही तय करेगा कि 2025 में कौन वोट देगा और कौन बाहर होगा।
BLOs vs समय: आखिरी चरण में जब वोटर लिस्ट ज़मीन पर पहुंचेगी
अब 1 लाख BLO (Booth Level Officers) और 1.5 लाख Booth Level Agents घर-घर जाकर दस्तावेज़ों की वेरिफिकेशन कर रहे हैं। हर दिन औसतन 50 फॉर्म वेरिफाई हो रहे हैं। यानी जमीन पर एक डेमोग्राफिक ऑपरेशन चल रहा है। शहरी इलाकों के 5,683 वार्डों में विशेष कैंप भी लगाए जा रहे हैं। ताकि हर योग्य नागरिक को वोट देने का मौका मिले और हर अपात्र को सूची से बाहर किया जाए।
2025 का सवाल: वोट किसका बचेगा, और किसका कटेगा?
मतदाता सूची का यह पुनरीक्षण न सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, बल्कि राजनीतिक भाग्य का बैरोमीटर बन चुका है। जिस वोटर की चूक हुई, वो डाल नहीं पाएगा वोट, और जिस पार्टी की तैयारी पुख्ता रही। वो इन लाखों बदलावों के बीच अपना नया वोट बैंक गढ़ सकती है।
बिहार में इस बार चुनाव आयोग सिर्फ वोटरों की गिनती नहीं कर रहा, बल्कि चुनावी जनसंख्या का पुनर्लेखन कर रहा है। और इस लेखन में डेटा भी है, राजनीति भीऔर भविष्य का गणित भी।