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जब CM नीतीश और डिप्टी CM तेजस्वी बांट रहे थे नियुक्ति पत्र, अतिथि शिक्षक लगा रहे थे गुहार

 

एक तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दीप्ति CM तेजस्वी यादव आज पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 10459 पुलिस कर्मियों के बीच नियुक्ती पत्र बाँट रहे थे तो वहीँ दूसरी ओर यानि गाँधी मैदान के बाहर, उच्च शिक्षा अभियान के बैनर तले बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्यरत अतिथि प्राध्यापक अपने सेवा समायोजन और बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा की जा रही बहाली में भी पारदर्शिता लाने की मांग कर रहे थे.

इस प्रदर्शन में अतिथि शिक्षकों का साथ देने पालीगंज के भाकपा माले विधायक संदीप सौरभ भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में यूजीसी के मानदंड पर अतिथि सहायक प्राध्यापकों की बहाली हुई है. इनका समायोजन किया जाना चाहिए. इनके समायोजन से उच्च शिक्षा में सकारात्मक बदलाव आएगा और पठन-पाठन का माहौल भी तैयार होगा.
उन्होंने कहा कि जो अतिथि शिक्षक पढ़ाते हैं उनकी नियुक्ति सरकार ने यूजीसी के तमाम निर्देशों के अनुरूप किया. पिछले सात सालों से यह लोग विभिन्न विश्वविद्यालयों के अंदर पढ़ा रहे हैं, सारी जिम्मेदारियों को संभाल रहे है. पूरे बिहार की विभिन्न विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की जो संख्या है यूजीसी ने जो पैमाना तय किया है उसके अनुरूप नहीं है,पहले से जो गेस्ट टीचर पढ़ा रहे हैं. वह सारे नियमावली को पूरा करते हुए ही आए हैं. इनके पास वह तमाम डिग्रियां हैं जो सरकार बहाली के वक्त मांगती है. इनको सीधे-सीधे समायोजित करें. रिटायरमेंट की उम्र की फिक्स की जाए. सैलरी भी सिक्स की जाए. जब परमानेंट शिक्षक लाएंगे और ऐसे में इनको हटा दिया जाएगा, यह शिक्षक कहां जाएंगे? इन्होंने विश्वविद्यालय में लंबे वक्त तक सेवा दी है.

वहीँ इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पटना विश्वविद्यालय के पीयूष राज ने बिहार राज्य लोक सेवा आयोग की बहाली में बढ़ती जा रही अ पारदर्शिता के सवाल को उठाते हुए कहा कि अभ्यर्थियों को उनका अंक जानने का अधिकार है. आयोग को सभी अभ्यर्थियों के अंक जारी करने चाहिए.

इस प्रदर्शन में शामिल आशुतोष कुमार, अमन कुमार यादव, सूर्यनाथ सिंह, जेपी विश्वविद्यालय के पंकज कुमार, मनोज पांडे, अमित कुमार, हरिमोहन कुमार, मनोज पटेल, भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के आमोद प्रबोधी, रविचंद्रन, महेश राय, रवि राय, डॉ कविता, पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया के डॉक्टर अनिल कुमार, बी. एन. मंडल यूनिवर्सिटी मधेपुरा से एमएस रहमान और अर्जुन कुमार का कहना था कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पिछले 25 से 30 साल में सिर्फ तीन से चार बार ही शैक्षणिक पदों पर बहाली हेतु विज्ञापन निकला है और इन्हें पूरा होने में काफी लंबा वक्त भी लगा है. 

इन्होंने अनुरोध किया कि सरकार यूजीसी के मानदंडों पर नियुक्त बिहार के विश्वविद्यालयों में कार्यरत सभी अतिथि शिक्षकों को समायोजित करे और तत्काल यह घोषणा करे कि किसी भी कार्यरत अतिथि शिक्षक को हटाया नहीं जाएगा और जिन्हें हटाया गया है उन्हें अविलंब सेवा बहाल किया जाए. इसके अलावा इनकी मांगों में पूर्णिया विश्वविद्यालय, पूर्णियों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को कुलसचिव द्वारा जारी किये गए अनुभव प्रमाण-पत्र पर बिहार राज विश्वविद्यालय सेवा आयोग (BSUSC)अविलंब शिक्षण अनुभव का अंक प्रदान करने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा की जा रही बहाली पर अविलंब रोक लगाकर उसे पारदर्शी बनाने के लिए सभी अभ्यर्थियों की मददवार API अंक जारी करके की जाए. बता दें कि इस प्रदर्शन में बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 100 से अधिक अतिथि प्राध्यापक शामिल हुए.