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वन्यजीव प्रकृति के अनमोल रत्न, भारत में पशु-पक्षियों को जीव मात्र नहीं, बल्कि पूजनीय और सांस्कृतिक प्रतीकों के रूप में देखा जाता है

 
भारत सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश है, जहां प्रकृति, पशु-पक्षी और मानव जीवन एक गहरे और अद्भुत संबंध में बंधे हुए हैं। आदि काल से ही भारत में पशु-पक्षियों को केवल जीव मात्र नहीं, बल्कि जीवन के सहचर, पूजनीय और सांस्कृतिक प्रतीकों के रूप में देखा गया है। आज भी हमारी परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं में स्पष्ट रूप से झलकता है।
हमारे यहां पशु-पक्षियों को देवताओं के वाहन और प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ एक पक्षी है, तो मां दुर्गा सिंह पर सवार होती हैं। भगवान गणेश का वाहन मूषक है, तो शिवजी के साथ नंदी बैल का पावन रिश्ता है। इसी तरह, हंस को सरस्वती का वाहन माना गया है। ये सभी उदाहरण दर्शाते हैं कि भारतीय संस्कृति में पशु-पक्षियों को दिव्यता और आदर का स्थान दिया गया है। इतना ही नहीं भारतीय लोककथाओं, पुराणों और साहित्य में भी पशु-पक्षियों का महत्वपूर्ण स्थान है। कथाओं में पशु-पक्षियों को बुद्धिमान, समझदार और संवेदनशील पात्रों के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो जीवन के गहरे संदेश और नैतिक शिक्षा देते हैं। पशु-पक्षी पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। मांसाहारी पक्षी और जानवर जैविक संतुलन बनाए रखते हैं, तो परागण में मधुमक्खियां और तितलियां मदद करती हैं। इसी तरह, गिद्ध जैसे पक्षी पर्यावरण को साफ रखने में सहयोगी होते हैं। 
 3 मार्च को वन्य जीवों के संरक्षण के लिए विश्व वन्यजीव दिवस हर साल मनाया जाता है। इसका उद्देश्य वन्यजीव के संरक्षण के साथ उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने के प्रति लोगों को जागरूक करना है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा टाइगर रेंज वाला देश है। दुनिया के 70 फीसदी से अधिक बाघ भारत में निवास करते हैं, जो हम सभी के लिए गर्व का विषय है। यह भी गर्व का विषय है कि भारत में सबसे अधिक हाथी व शेरों की संख्या है। पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और नेतृत्व में देश सभी क्षेत्र के साथ-साथ पर्यावरण व वन्यजीव संरक्षण में भी लगातार सकारात्मक परिवर्तनों के दौर से गुजर रहा है। जिसकी दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है। 
आज हर कोई प्रकृति, वन्य जीव की विविध बातों को जानने को उत्सुक हैं। आजादी के बाद पहली बार जब साल 2022 में देश में चीते आए, तो इसकी सराहना चहुंओर हुई। यह देश के लिए गौरवपूर्ण व ऐतिहासिक पल था। आज चीते का परिवार तेजी से बढ़ रहा है। चीते जंगलों में शान से दौड़ रहे हैं। 2014 में जहां बाघों की संख्या 2,226 थी, वहीं 2023 में 3, 682 हो गई है। 60 प्रतिशत से अधिक जंगली एशियाई हाथी भारत में हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा ऐशियाई एलिफेंट रेंज वाला देश है। भारत ऐशियाई शेरों वाला दुनिया का एक मात्र देश है। 4 सालों में तेंदुओं की आबादी में 60 फीसदी की अधिक वृद्धि हुई है। वन्यजीवों के फलने-फूलने के लिए इकोलॉजी का भी फलना-फूलना जरूरी है। आज देश मे 89 रामसर साइट हैं। पशु-पक्षियों और मानव जाति के बीच का संबंध केवल व्यवहारिक या आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भावनात्मक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी गहराई से जुड़ा हुआ है। आदिकाल से लेकर आज तक यह संबंध हमारी परंपराओं, धार्मिक विश्वासों, कला और साहित्य में जीवित है। इसलिए, यह हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम इन जीवों की रक्षा करें और उनके साथ सह-अस्तित्व की भावना बनाए रखें।