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डॉक्टर शकील की कहानियों का संग्रह एक "रात का मौक़िफ़ : एक रात का साथ" का पटना म्यूजियम में लोकार्पण

 

डॉक्टर शकील की उर्दू कहानियों का हिन्दी में किया गया लिप्यन्तरण एक "रात का मौक़िफ़ : एक रात का साथ" का आज बिहार म्यूजियम में लोकार्पण हुआ। जिसका उर्दू से हिन्दी में लिप्यन्तरण जावेद अख़्तर खां ने किया है। किताब का विमोचन बिहार म्यूजियम के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह, उर्दू के जाने माने लेखक अब्दुस्समद, सफदर इमाम कादरी और हिंदी के बड़े कवि अरुण कमल, साहित्यकार तरुण कुमार नें किया।

 

 इस मौके पर अपनी बात रखते हुए उर्दू के जाने- माने लेखक अब्दुस्समद ने कहा कि डॉक्टर शकील के अफ़साने ख़ुशगवार झोंके की तरह सामने आए हैं। उनकी बड़ी खासियत यह है कि वे अच्छी तरह जानते हैं कि उन्हें क्या लिखना है। डॉक्टर शकील के लेखन में मुझे एक तरह की कारीगरी नज़र आती है। वे एक बेहतरीन कारीगर हैं।
बिहार म्यूजियम के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह नें कहा कि ये किताब हिन्दी और उर्दू की ज़ुबान को जानने वालों के लिए बेहतरीन तोफा है। आप इसमें उर्दू ज़ुबान की खुशबू में भीग सकते हैं। उन्होंने कहा कि
  मुझे हैरानी है कि डॉक्टर के पास कहानी लिखने और कहने का हुनर मौजूद है। 
हिन्दी के बड़े कवि अरुण कमल नें कहा कि शकील की कहानियां हमारे समय की नब्ज़ पर उंगलियां रखती हैं। यहां बहुत बारीकी और संवेदना से हिंसा और अमानवीय स्थितियों में छटपटाते स्त्री- पुरुष उनके संघर्ष को प्रस्तुत किया गया है जो समकालीन कथा जगत के लिए विरल घटना है।  
उर्दू के प्रोफेसर सफदर इमाम कादरी ने कहा कि डॉक्टर शकील अफसाने की शैली और उसकी रिवायत को समझते हैं। लिहाज़ा कहानी में सादगी , कलात्मकता और गहराई दिखती है। 
साहित्यकार तरुण कुमार नें कहा कि ये कहानियां अपने समय और दुख को पकड़ती है। इन कहानियों में आप आम आदमी की आवाज सुन सकते हैं। वे उर्दू की दुनिया के बेहतरीन अफसानानिगार हैं। उनकी कहानियां हमें जिन्दगी की तरफ ले जाती हैं।
 जाने- माने अभिनेता जावेद अख़्तर खां ने कहा कि हिन्दी - उर्दू की एक साझी दुनिया है, फिर भी ये जुदा भाषाएं हैं; तेवर , लहज़े, लय में बारीक फर्क के लिए। डॉक्टर शकील के अफसाने का उर्दू से हिन्दी में लिप्यन्तरण के दौरान मेरा जो उर्दू से सिलसिला टूट गया था उससे फिर मैं जुड़ पाया इसके लिए शकील का शुक्रिया।
 इसके पूर्व कहानीकार डॉक्टर शकील से डॉक्टर अर्चना त्रिपाठी नें उनकी कहानी और अदब की दुनिया के उनके सफर पर बात - चीत की।  
बात चीत में डॉक्टर शकील ने कहा कि एक डॉक्टर जो अपने चार दहाई से ज्यादा प्रोफेशनल केरियर में लाखों नुस्ख़ा और दर्जनों साइंसी मकालों का राकिब हो, उसके लिए अफ़साना के दयार में कदम रखना दूध की नहर लाने के मानिंद है।
पूरे आयोजन का संचालन कवि नताशा ने किया।
जाने- माने अभिनेता विनोद कुमार ने उनकी कहानियों का पाठ किया। इस मौके पर कई साहित्यकार, कलाकार, कवि लेखक मौजूद थे। 
निवेदिता झा