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बिहार में पहली बार AI की मदद से होगा TB का इलाज, जानें

बिहार सरकार ने क्षय रोग (टीबी) के खिलाफ लड़ाई को नई तकनीक के सहारे और तेज करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब पहली बार राज्य में टीबी की पहचान और उपचार में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सहारा लिया जा रहा है। यह पहल व्यापक टीबी जांच अभियान से की जा रही है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग की टीमें अत्याधुनिक हैंड-हेल्ड एक्स-रे मशीन और एआई-सक्षम मोबाइल यूनिट्स लेकर गांव-गांव व शहर-शहर जाएंगी।

इस पहल का मुख्य लक्ष्य ऐसे मरीजों की पहचान करना है, जिनमें टीबी के सामान्य लक्षण तो हैं लेकिन वे पारंपरिक जांच प्रक्रियाओं से बाहर रह जाते हैं। एआई आधारित विश्लेषण से टीबी मुक्त बिहार के लक्ष्य को निर्धारित समय से पहले पूरा करने की उम्मीद है। एक्स-रे रिपोर्ट और अन्य आंकड़ों के गहन विश्लेषण में एआई मददगार साबित होगा।

रिपोर्ट विश्लेषण में एआई की भूमिका
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (रोग नियंत्रण) प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि एआई सॉफ्टवेयर एक्स-रे रिपोर्ट का त्वरित परीक्षण कर यह संकेत देगा कि मरीज को टीबी है या नहीं। यही नहीं, यह तकनीक मरीज की शारीरिक शिकायतों, रक्त जांच रिपोर्ट और पुराने इलाज के रिकॉर्ड को देखकर बेहतर इलाज के लिए सुझाव भी देगी। इससे हर मरीज को उसकी स्थिति के अनुसार दवाएं और उपचार की अवधि निर्धारित करने में मदद मिलेगी।

डिजिटल स्वास्थ्य ढांचे की ओर कदम
यह पहली बार है जब बिहार में स्वास्थ्य जांच में एआई का इस स्तर पर इस्तेमाल हो रहा है। इससे न केवल इलाज की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम को भी मजबूती मिलेगी। गांवों और कस्बों में टीमें एआई युक्त उपकरणों से मौके पर ही डेटा इकट्ठा करेंगी, जिससे अब तक छिपे हुए टीबी के मामलों को पकड़ना संभव हो सकेगा। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि यह तकनीक न सिर्फ जांच और इलाज में लगने वाले समय और खर्च को घटाएगी, बल्कि संक्रमण के फैलाव को भी प्रभावी ढंग से रोकेगी।

  • "इस पहल का उद्देश्य न केवल निदान की गति बढ़ाना है, बल्कि मानवीय त्रुटियों को भी कम करना है. सफलता मिलने पर इस तकनीक को डायबिटीज, कैंसर और हृदय रोग जैसी बीमारियों के इलाज में भी आजमाया जाएगा."- प्रमोद कुमार सिंह, निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य विभाग, बिहार