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जाति आधारित गणना को लेकर पटना हाई कोर्ट में सुनवाई हुई पूरी, फैसला रखा गया सुरक्षित

 

बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर पटना हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामलें में दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ लगातार पांच दिनों की सुनवाई पुरी कर निर्णय सुरक्षित रखा. जानकारी के अनुसार अगले सप्ताह इसपर फैसला सुनाया जाएगा. 

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आपको बता दें कि नीतीश सरकार की ओर से महाधिवक्ता  कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि ये सर्वे है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों के संबंध आंकड़ा एकत्रित करना है जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के लिए किया जाना है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जाति संबंधी सूचना शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश या नौकरियों लेने के समय भी दी जाती है. पीके शाही ने कहा कि जातियां समाज का हिस्सा हैं. हर धर्म में अलग अलग जातियां होती हैं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की कोई अनिवार्य रूप से जानकारी देने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फीसदी पूरा हो गया है. ऐसा सर्वेक्षण राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है. पी के शाही ने कोर्ट को बताया कि इससे सर्वेक्षण से किसी के निजता का उल्लंघन नहीं हो रहा है. बहुत सी सूचनाएं पहले से ही सार्वजनिक होती हैं.

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सर्वेक्षण कराने का ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र के बाहर है. ये असंवैधानिक है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है.