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MBBS के तीसरे वर्ष के छात्रों को हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत देने से किया इनकार, 20 जून को अगली सुनवाई

बेतिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस तृतीय वर्ष की परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों की जगह अन्य व्यक्तियों को बैठाए जाने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को फिलहाल कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। इस प्रकरण की सुनवाई न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की एकलपीठ द्वारा की गई, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति को अगली सुनवाई से पहले विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

परीक्षा से पहले राहत की मांग
इस मामले में याचिकाकर्ता अरविंद कुमार और चार अन्य छात्रों की ओर से दायर याचिका पर बहस के दौरान वकील रामचंद्र सिंह ने अदालत से अनुरोध किया कि चूंकि आगामी एमबीबीएस परीक्षा 4 जून 2025 से शुरू हो रही है, अतः उनके मुवक्किलों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। उन्होंने इस संबंध में भवेश कुमार भास्कर मामले का हवाला देते हुए पूर्व में राहत दिए गए कुछ छात्रों के आदेश की प्रति कोर्ट में प्रस्तुत की।

सरकारी पक्ष का कड़ा विरोध
वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने इस याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि मेडिकल परीक्षाओं में धोखाधड़ी गंभीर अपराध है, जो समाज और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक हो सकता है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं में से एक ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि ईएनटी विषय की परीक्षा में उनकी जगह कोई अन्य छात्र बैठा था। इसलिए ऐसे छात्रों को परीक्षा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

विश्वविद्यालय के जवाब न देने पर भी टिप्पणी
सरकारी अधिवक्ता ने यह भी बताया कि पूर्व में कुछ छात्रों को अंतरिम राहत सिर्फ इस आधार पर मिली थी कि विश्वविद्यालय द्वारा कोर्ट के आदेशों के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किया गया था। ऐसे में उसी आधार पर इस मामले में राहत नहीं दी जा सकती।

मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे इस आदेश की जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को दें और जवाब दाखिल करवाएं। इस याचिका पर अगली सुनवाई अब 20 जून 2025 को होगी।