Movie prime

स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी को आधार बनायेगा संघ- डाॅ. मोहन सिंह

 

स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी को आधार बनाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष अभियान चलेगा। जिसमें बिहार की भूमि पर अवतरित होने वाले भगवान महावीर के संदेशों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। पर्यावरण से लेकर स्वरोजगार जैसे ज्वलंत समस्याओं का निदान देने के लिए विश्व का यह विराट संगठन एक विस्तृत योजना पर कार्य आरंभ कर चुका है। राष्ट्र के नवोत्थान के लिए संघ परिवार संस्था का दृढ़ीकरण, बंधुता पर आधारित समरस समाज का निर्माण तथा स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास जैसे उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करेगा। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में यह आह्वान किया गया कि भारतीय चिंतन के प्रकाश में सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक, लोकतांत्रिक, न्यायिक संस्थाओं सहित समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में काल सुसंगत रचनायें विकसित करने के कार्य में संपूर्ण शक्ति से सहभागी बने। इससे भारत विश्व मंच पर एक समर्थ, वैभवशाली और विश्व कल्याणकारी राष्ट्र के रूप में समुचित स्थान प्राप्त कर सकेगा। यह जानकारी अखिल सभा प्रतिनिधि सभा से लौटने के बाद संघ के उत्तर-पूर्व क्षेत्र कार्यवाह डाॅ. मोहन सिंह ने दी।

डाॅ. मोहन सिंह ने पटना में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रीय महत्व का एक प्रस्ताव पारित हुआ, जिसमें ‘स्व’ आधारित राष्ट्र के नवोत्थान का संकल्प लेने का आह्वान है। इसके अलावा  सरकार्यवाह ने तीन महत्वपूर्ण वक्तव्य भी जारी किए। महावीर स्वामी के निर्वाण के 2550 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में उनके संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने की बात कही गई है। डाॅ. सिंह ने कहा कि बिहार उनके कार्य का केंद्र बिंदु रहा था। इस निमित्त संघ भी बिहार में विशेष कार्यक्रम करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यारोहण के 350वें वर्ष के उपलक्ष्य में एवं महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर भी सरकार्यवाह का वक्तव्य आया।

प्रतिनिधि सभा में संघ के कार्यस्थिति की भी चर्चा हुई। देश में संघ कार्य का तेजी से विस्तार हो रहा है। 2022 में 37 हजार 903 स्थानों पर 60 हजार 117 शाखा लगती थी। इस दौरान संघ कार्य में एक महत्वपूर्ण उछाल आया। अब 42 हजार 613 स्थानों पर 68 हजार 651 शाखा लगती है। वहीं साप्ताहिक मिलन की संख्या भी 20 हजार 826 से बढ़कर 26 हजार 877 एवं संघ मंडली की संख्या 7 हजार 980 से बढ़कर 10 हजार 415 हो गई। अगर बिहार की बात करें तो यहां 1132 स्थान पर 1608 शाखाएं लगती हैं। इसके  अलावा 569 स्थान पर साप्ताहिक मिलन और 69 स्थान पर संघ मंडली चलती है। संघ द्वारा बिहार में 200 से अधिक स्थानों पर सेवा कार्य किए जा रहे हैं। प्रांत के अनुसार देखा जाए तो उत्तर बिहार में 713 स्थान पर 948 शाखा एवं दक्षिण बिहार में 419 स्थान पर 660 शाखा लगती है। संघ की योजना है कि सभी मंडल, नगर और बस्तियों में संघ की शाखा 2025 तक नियमित रूप से लगने लगे।