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बिहार में 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों को भी मिलेगा पुरानी पेंशन व्यवस्था का लाभ, 22 अक्टूबर तक मांगे गए आवेदन

 

बिहार सरकार ने शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है, जिसमें 1 सितंबर 2005 के बाद नियुक्त किए गए शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) में शामिल होने का अवसर दिया जा रहा है। यह फैसला राज्य के शिक्षकों के लिए ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है, क्योंकि लंबे समय से शिक्षकों की मांग रही थी कि उन्हें भी पुरानी पेंशन का लाभ मिलना चाहिए। इस फैसले के तहत, इन शिक्षकों को भी उसी प्रकार के लाभ दिए जाएंगे जैसे 1 सितंबर 2005 से पहले नियुक्त शिक्षकों को मिलते रहे हैं। यह निर्णय शिक्षकों के भविष्य की सुरक्षा और उनके पेंशन लाभों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

वर्तमान में, बिहार राज्य में 1 सितंबर 2005 के बाद नियुक्त किए गए सभी सरकारी कर्मचारियों, जिसमें शिक्षक भी शामिल हैं, को राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत रखा गया था। एनपीएस एक अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें कर्मचारी का अंशदान और सरकार का अंशदान दोनों शामिल होते हैं। इसके अंतर्गत सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन राशि नहीं मिलती, बल्कि उनके अंशदान पर आधारित एकमुश्त राशि मिलती है। इसके विपरीत, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) में कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक निश्चित पेंशन मिलती है, जो उनकी अंतिम वेतन का एक निर्धारित प्रतिशत होता है। शिक्षक संघों और संगठनों की ओर से यह लंबे समय से मांग की जा रही थी कि राष्ट्रीय पेंशन योजना में होने के कारण उन्हें पुरानी पेंशन योजना जैसी सुरक्षा नहीं मिल पा रही थी। इस वजह से सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा का सवाल उनके लिए चिंता का विषय बना हुआ था। पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलने से अब इन शिक्षकों को यह आर्थिक सुरक्षा मिल सकेगी, जिससे उनके भविष्य में अनिश्चितता का खतरा कम हो जाएगा।

इस निर्णय के तहत उन शिक्षकों को शामिल किया गया है जिन्हें 1 सितंबर 2005 के बाद नियुक्त किया गया था। माध्यमिक शिक्षा निदेशक योगेंद्र सिंह द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, इन शिक्षकों को यह विकल्प दिया गया है कि वे चाहें तो पुरानी पेंशन योजना का लाभ ले सकते हैं। इस संबंध में शिक्षकों से 22 अक्टूबर 2024 तक विकल्प मांगे गए हैं। यह विकल्प भरने के लिए उन्हें अपने नियुक्ति पत्र, योगदान पत्र, और अन्य संबंधित दस्तावेजों के साथ एक जांच पत्रक जमा करना होगा। इसके बाद, जिला शिक्षा पदाधिकारी सभी संकलित दस्तावेजों को एक सप्ताह के भीतर शिक्षा विभाग को भेजेंगे। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि जो शिक्षक निर्धारित तिथि तक अपना विकल्प प्रस्तुत नहीं करेंगे, उन्हें इस योजना में शामिल होने का अवसर नहीं मिलेगा। इसलिए शिक्षकों से आग्रह किया गया है कि वे अपनी संपूर्ण जानकारी और दस्तावेज समय पर जमा करें ताकि प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो सके।

बिहार सरकार के इस फैसले को शिक्षक समुदाय में बड़े ही सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। शिक्षकों ने लंबे समय तक इस मुद्दे पर संघर्ष किया और अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा था। पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलने से शिक्षकों को न केवल आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि इससे उन्हें मानसिक संतुष्टि भी प्राप्त होगी कि सेवानिवृत्ति के बाद उनके पास एक निश्चित आय का साधन होगा। कई शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका मानना है कि पुरानी पेंशन योजना की बहाली से न केवल शिक्षकों के भविष्य की सुरक्षा होगी बल्कि इससे उनकी नौकरी की संतुष्टि और मनोबल में भी वृद्धि होगी। शिक्षकों के अनुसार, पुरानी पेंशन योजना एक सामाजिक सुरक्षा की तरह है, जो उन्हें नौकरी के बाद भी आत्मनिर्भर बनाए रखेगी। सरकार का यह कदम शिक्षकों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को मान्यता देने और उनके योगदान को सम्मान देने का प्रतीक है।

पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने के लिए शिक्षकों को निर्धारित समय सीमा के भीतर आवश्यक दस्तावेजों के साथ जांच पत्रक जमा करना होगा। यह प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके इसके लिए सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने नियुक्ति पत्र, योगदान पत्र, और अन्य आवश्यक दस्तावेजों को समय पर तैयार रखें ताकि वे विकल्प प्रस्तुत कर सकें। शिक्षकों को यह भी सलाह दी गई है कि वे इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की लापरवाही न बरतें, क्योंकि यह उनके भविष्य से जुड़ा मामला है। शिक्षा विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो शिक्षक निर्धारित तिथि तक विकल्प प्रस्तुत नहीं करेंगे, उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा। इसलिए शिक्षकों से आग्रह किया गया है कि वे अपनी पूरी जानकारी और दस्तावेज समय पर जमा करें ताकि उन्हें इस योजना का लाभ मिल सके।

बिहार सरकार का यह फैसला शिक्षकों के भविष्य की सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे उन शिक्षकों को भी पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा जो 1 सितंबर 2005 के बाद नियुक्त हुए थे और अब तक राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत काम कर रहे थे। इस निर्णय से शिक्षक समुदाय में एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता आई है। सरकार ने शिक्षकों के महत्व और उनके भविष्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया है, जो कि सराहनीय है। कुल मिलाकर, बिहार सरकार का यह निर्णय शिक्षकों के लिए एक बड़ा राहतकारी कदम है। इससे न केवल शिक्षक समुदाय का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि इससे शिक्षकों की आर्थिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलने से शिक्षकों को अब यह विश्वास होगा कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें एक स्थिर आय का स्रोत मिलेगा, जिससे वे सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकेंगे.