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बोधि वृक्ष की छांव में राज्यपाल ने बुद्ध जयंती समारोह का किया उद्धघाटन, कहा- भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर चलकर ही मोक्ष की प्राप्ति संभव

Report: Dhiraj Sinha (Gaya) 
 

बोधगया में शुक्रवार को भगवान बुद्ध की 2567वीं जयंती पर महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधि वृक्ष की छांव में आयोजित समारोह का सूबे के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने दीप जलाकर उद्धघाटन किया.

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वहीं समारोह के पूर्व बुद्ध जयंती को लेकर शुक्रवार की सुबह 80 फीट विशाल बुद्ध प्रतिमा के साथ आकर्षक धम्म यात्रा निकाली गई. इसमें शामिल बौद्ध भिक्षु और श्रद्धालु हाथों में पंचशील ध्वज लिए 'बुद्धं शरणं गच्छामि' का जयघोष करते हुए निकलें. धम्म यात्रा मंदिर मार्ग से होते हुए महाबोधि मंदिर पहुंची, जहां यात्रा में शामिल सभी लोग कार्यक्रम आयोजन स्थल पवित्र बोधिवृक्ष की छांव तले एकत्रित हुए.

इसी के साथ महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष की छांव में थेरोवाद परंपरा के बौद्ध भिक्षुओं ने सूत पाठ किया. इसके बाद अब महायान पंरपरा के तहत बौद्ध भिक्षु सूत पाठ कर रहे हैं। इस मौके पर सूबे के बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने बीटीएससी की पत्रिका प्रज्ञा का विमोचन और कैलेंडर का लोकार्पण किया. इस मौके पर समारोह को संबोधित करते हुए महामहिम राज्यपाल ने कहा कि किताबों में पढ़ने के लिए भगवान बुद्ध और बोधगया के बारे में मिला था, आज उनकी जयंती मनाने का अवसर हमें मिला है. उन्होंने भगवान बुद्ध को भगवान श्री कृष्ण का अवतार बताया। उन्होंने कहा कि धर्म का मतलब सही दिशा, सही विचार, क्या करना , क्या नहीं करना इसी को हमारे यहां धर्म कहा गया। यही विचार भगवान बुद्ध का हैं. भगवान  बुद्ध के विचार न किसी जाति पंथ, सेक्शन के बल्कि उनकी कृति आज विश्व के मानव की संपत्ति है. 

आगे उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने कभी ऐसा नहीं कहा कि भगवान बुद्ध के विचार हमारे हैं. उनके विचार पूरे विश्व के लिए है. उन्होंने कहा कि मोक्ष प्राप्ति का रास्ता भगवान बुद्ध के मार्ग पर चलने से ही मिलता है. इसलिए हमें प्रयास करना चाहिए कि भगवान बुद्ध के मार्ग पर हम लोग चले और उनके संदेशों का पालन करें. उन्होंने कहा कि आज यह संकल्प लेकर यहां से जाएं कि भगवान बुद्ध के सन्देश को आत्मसात करें. साथ ही उनके बताए मार्ग पर चलें. 

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