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राजनीति में वंशवाद के प्रवेश पर ग्रामीणों ने जताई नाराजगी, कहा- पांच साल में न चेहरा दिखा और न ही विकास

 

Bihar, Mujaffarpur: बिहार में इस समय चुनाव को लेकर हर दिन नई राजनीतिक हलचल देखने को मिल रही है। इसी बीच मुजफ्फरपुर से एक ताज़ा खबर आ रही है। जैसा कि सभी जानते हैं कि बिहार की राजनीति में वंशवाद कोई नई बात नहीं है। लेकिन जब यह कहानी एक बार फिर सकरा विधानसभा के मंच पर दोहराई जा रही है तो जनता अब इसे नकार रही है।

सकरा से वर्तमान जदयू विधायक अशोक चौधरी अब अपने बेटे आदित्य कुमार को राजनीतिक मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। पोस्टर-बैनर लग चुके हैं, डिजिटल प्रचार की बिसात बिछ चुकी है, लेकिन इलाके की सड़कों, स्कूलों, अस्पतालों और रोजगार के हालात अब भी वहीं के वहीं हैं। 2020 में मामूली अंतर से जीते अशोक चौधरी का कार्यकाल अब सवालों के घेरे में है। लोगों का साफ कहना है कि, पिछले पांच सालों में न चेहरा दिखा, न ही विकास। अब बेटा आगे कर देने से वोट मिल जाएंगे, ये गलतफहमी है।

चेहरे नहीं, परिणाम चाहिए

सकरा की गलियों में अब चर्चा किसी पार्टी की नहीं, विकास की हो रही है। सोशल मीडिया पर स्थानीय युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, एक सुर में सवाल उठा रहे हैं, क्या अब टिकट का आधार सिर्फ खानदानी होना रह गया है? स्थानीय दुकानदार सुनील सिंह कहते हैं, विधायक जी चुनाव के बाद सिर्फ शिलान्यास और मंचों तक सीमित रहे। अस्पतालों में डॉक्टर नहीं है, सड़कों में गड्ढे हैं, स्कूलों में शिक्षक नहीं है। तो अब वोट मांगकर कौन सा काम करेंगे। 

सकरा सिर्फ नाम का नहीं, अब जवाब का भी क्षेत्र बनेगा

जदयू द्वारा बेटे को आगे करने की कोशिश को लोग अब ‘पारिवारिक उत्तराधिकार योजना’ बता रहे हैं। और जनता अब परंपरागत राजनीति से हटकर अपने अधिकार को लेकर ज्यादा जागरूक नजर आ रही है। इस बार का मिजाज एकदम साफ है। वंशवाद नहीं, विकास चाहिए।

वहीं, एक स्थानीय महिला समूह की संयोजिका ने बताया, अब कोई भी नेता हो, हमें अपनी बेटियों की पढ़ाई, गांव में पीने का पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं चाहिए। इन मुद्दों पर बात होगी तो समर्थन मिलेगा, नहीं तो नहीं मिलेगा। 

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