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Gopal Khemka murder case: पटना में माफिया-पुलिस गठजोड़ या सिर्फ प्रॉपर्टी विवाद, क्या बिहार में 'महा गुंडाराज' लौट आया?

 

Patna: राजधानी पटना में मशहूर व्यवसायी और बीजेपी से जुड़े समाजसेवी गोपाल खेमका की निर्मम हत्या ने न केवल बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सियासी भूचाल भी पैदा कर दिया है। घटना 4 जुलाई की रात 11:38 बजे हुई जब खेमका बांकीपुर क्लब से लौटते वक्त ट्विन टावर अपार्टमेंट के बाहर गोलियों का शिकार बने।

6 सेकंड में खत्म हो गई एक ज़िंदगी

सीसीटीवी में कैद फुटेज के मुताबिक, जैसे ही खेमका अपनी कार से उतरे, हेलमेट पहने एक युवक ने उन्हें सिर में गोली मार दी और बाइक से फरार हो गया। घटना इतनी तेजी से हुई कि कोई प्रतिक्रिया देने का मौका तक नहीं मिला।

पुलिस ने किया दावा, पप्पू यादव ने खारिज किया

पटना पुलिस ने मामले की जांच के लिए एसआईटी बनाई और अगले ही दिन शूटर उमेश यादव को गिरफ्तार कर लिया। वहीं, हथियार सप्लायर विकास उर्फ राजा को 8 जुलाई को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। पुलिस का दावा है कि हत्या की साजिश अशोक साह नामक व्यक्ति ने रची, जिसे खेमका से जमीन और क्लब विवाद था। 4 लाख रुपये की सुपारी में यह हत्या कराई गई, ऐसा दावा है।

हालांकि, पूर्व सांसद पप्पू यादव ने पुलिस की कहानी को सिरे से खारिज करते हुए इसे “झूठ का प्लॉट” करार दिया और सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने सवाल किया कि क्या अब बिहार में "महा गुंडाराज" चल रहा है?

कई सवाल अब भी अनुत्तरित

पुलिस की कार्रवाई पर जनता और पत्रकारों दोनों ने उंगलियां उठाई हैं:

  • शूटर उमेश यादव का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं, फिर पहली बार में ही इतनी सटीक हत्या कैसे?
  • विकास की मुठभेड़ – क्या इतनी जल्दी उसे मार देना जांच को कमजोर करने की कोशिश थी?
  • सीसीटीवी फुटेज सिर्फ एक ही जगह का क्यों? बाकी फुटेज क्यों नहीं दिखाए गए?
  • बेऊर जेल से मिले सुराग और मोबाइल-सिम कार्ड के बावजूद बड़े नामों की जांच आगे क्यों नहीं बढ़ी?

पत्रकारों की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर हंगामा

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र ने इस पूरी घटना को "ऑर्गेनाइज्ड क्राइम" बताया और पुलिस की कार्रवाई को "तमाशा" करार दिया। वहीं, कई अन्य पत्रकारों और विश्लेषकों का मानना है कि यह हत्या व्यापारी वर्ग के खिलाफ सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो सकती है।

सियासी बयानबाज़ी तेज

  • तेजस्वी यादव ने इसे "जंगलराज की वापसी" बताया।
  • चिराग पासवान ने घटना को "निंदनीय" कहा।
  • सम्राट चौधरी, डिप्टी सीएम ने दावा किया कि "अपराधियों को घर में घुसकर मारा जाएगा।"

क्या यह महज प्रॉपर्टी विवाद है या कुछ और?

गोपाल खेमका न केवल मगध अस्पताल के मालिक थे बल्कि कई व्यापारिक संगठनों से जुड़े हुए थे। 2018 में उनके बेटे गुंजन खेमका की हत्या आज तक नहीं सुलझी। अब खुद खेमका की हत्या ने पुराने घाव फिर से हरे कर दिए हैं।

पुलिस का दावा है कि विवाद की जड़ प्रॉपर्टी और क्लब की राजनीति में है, लेकिन बेऊर जेल से निकले कनेक्शन, अशोक साह जैसे पुराने आरोपी, और गैंगस्टर अजय वर्मा का नाम सामने आना इस केस को सिर्फ जमीन विवाद नहीं, बल्कि संगठित अपराध के नेटवर्क की ओर इशारा करता है।

क्या सच दबाया जा रहा है?

इस सवाल का जवाब अभी धुंध में है। लेकिन एक बात तय है गोपाल खेमका की हत्या ने बिहार में सुरक्षा, जांच और राजनीतिक इच्छाशक्ति तीनों पर सवालिया निशान लगा दिया है।