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जोड़ों के प्रत्यारोपण में रोबोटिक्स एक क्रांतिकारी कदम: डॉक्टर आशीष सिंह

 

आज के युग में जहां हम निवास कर रहे हैं हमारे हर तरफ रोबोट का बड़ा योगदान है। चाहे कार का निर्माण हो या एयरप्लेन का बनना या फिर मोबाइल फोन का निर्माण। इसके अलावा कई अन्य भी कार्य हैं जिसमें रोबोट का अहम योगदान है। रोबोट से काम लेने में सबसे प्रमुख बात यह है कि इसमें सटीकता 99.99% होती है यानी चूक की संभावना न करने के बराबर होती है। जोड़ों के प्रत्यारोपण में यही बात लागू होता है। जब हम रोबोट से जोड़ों का प्रतिरूपण करते हैं तो हमारी सटीकता 99.99% होती है। यह कहना है जोड़ों के प्रत्यारोपण में एक अलग पहचान बना चुके और सूबे में रोबोट के माध्यम से जोड़ों का सर्व प्रथम ऑपरेशन करने वाले डॉ आशीष सिंह का. 

क्या है रोबोटिक सर्जरी? पूर्ण जानकारी (Robotic Surgery in Hindi)

डॉ आशीष के अनुसार आज की तारीख में सारे बेहतरीन कार्य रोबोटिक गाइडेड हो रहे हैं। सर्जिकल फील्ड में भी रोबोटिक से कार्य कराने को लेकर एक जुगलबंदी की गई। करीब 50 सालों से यह डेवलपमेंट में चल रहा था। यह तकनीक विशेष रूप से यूरोलॉजी में अपनाई जाती है। 2009 में हड्डी के रोग के इलाज के लिए रोबोट इंट्रोड्यूस हुआ। 2009 से रोबोटिक प्लेटफार्म पर काम कर रहा था। अभी अपने देश में रोबोट लांच हुआ तो मेरा कार्य चल रहा है। इसमें दर्द कम होता है। कम काटा जाता है। खून भी कम निकलता है और रिकवरी जल्दी होती है। मरीज चार घंटे में चलने में सक्षम हो जाता है। रोबोटिक्स के द्वारा कूल्हा या फिर घुटना का प्रत्यारोपण होता हैं तो एक-एक या दो -दो डिग्री का वेरिएशन होता है तो रिजल्ट को कंप्रोमाइज किया जा सकता है। रोबोटिक गाइडेड सर्जरी करने से हमारा ऑपरेशन 99.99%  सटीक हो गया है।

Robotic Surgery: पहली बार रोबोट ने खुद से की सर्जरी, नहीं ली किसी इंसान की  मदद - Science AajTak

रोबोटिक सर्जरी एक ऐसी विधि है जिससे ऐसे लोग जो जन्म से ही हड्डियों में विकृति से ग्रसित होते हैं। उसे भी दूर किया जा सकता है। विकृति दो प्रकार की होती है पहला उम्र के साथ बदलती जीवन शैली में जल्दी ओस्टियोआर्थराइटिस देखा गया है। जबकि कुछ लोगों में जन्म से विकृति होती है। अगर यंग मरीज है तो उससे रोबोटिक्स के माध्यम से विकृति को दूर की जा सकती है। अगर उम्र की वजह से या ऑर्थराइटिस की वजह से टेढ़ा हो रहा है तो प्रत्यारोपण करने के वक्त ही पैर को सीधा किया जा सकता है। इस उपचार से पेशेंट अच्छे भी हो जाते हैं।

घुटने का घिसना या ओस्टियोआर्थराइटिस दरअसल एक नेचुरल कोर्स ऑफ एक्शन है। जैसे हमारे बाल सफेद होते हैं, चमड़े पर झुर्रियां आती हैं। उसी प्रकार हमारी हड्डियों घूटने घिसते हैं। जब यह खराब हो जाता है और पैर टेढ़ा हो जाता है व्यक्ति को चलने में असमर्थता होती है। तब घुटने का प्रत्यारोपण करके पेशेंट को चलाने में सक्षम हो जाते हैं और चलाने के बाद एक नया पेशेंट को नया जीवन मिल जाता है। इस सर्जरी में परंपरागत तरीके की सर्जरी से कम वक्त लगता है। अगर रोबोटिक्स के माध्यम से घुटने का प्रत्यारोपण किया जाए तो अगले 30 से 35 सालों तक मरीज को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है।