पंचायत सेवक की मौत पर FIR से प्रशासनिक सेवा संघ नाराज़, थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग

डुमरी प्रखंड में पंचायत सचिव की आत्महत्या के बाद बीडीओ समेत चार अधिकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को लेकर झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ ने कड़ी आपत्ति जताई है। इस मुद्दे को लेकर एक विशेष बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता उप विकास आयुक्त स्मिता कुमारी ने की। बैठक में पंचायत सेवक की मृत्यु से संबंधित घटनाक्रम पर विस्तार से चर्चा की गई।
एफआईआर दर्ज होने पर असंतोष
संघ की बैठक में डुमरी के प्रखंड विकास पदाधिकारी को मामले में नामजद आरोपी बनाए जाने पर गहरी नाराज़गी जताई गई। यह कहा गया कि बिना संबंधित विभाग की पूर्व अनुमति के प्राथमिकी दर्ज कर दी गई, जो विभागीय निर्देशों का उल्लंघन है। इस कारण डुमरी थाना प्रभारी के खिलाफ उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर उचित कार्रवाई की मांग करने का निर्णय लिया गया है।

केंद्रीय समिति को भेजा जाएगा सुझाव
बैठक में तय किया गया कि राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के निर्देशों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय समिति को प्रस्ताव भेजा जाएगा। साथ ही सभी प्रशासनिक विभागों, विशेष रूप से पुलिस संस्थानों को उक्त निर्देश का पालन सुनिश्चित कराने हेतु आग्रह किया जाएगा। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री, प्रमंडलीय आयुक्तों एवं सभी उपायुक्तों को भी भेजा जाएगा।
विकास कार्यों पर असर की चेतावनी
संघ का कहना है कि यदि पर्यवेक्षण या अनुश्रवण के दौरान अधिकारी की टिप्पणी को प्रताड़ना माना जाएगा, तो इससे अन्य अधिकारियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और योजनाओं की समीक्षा प्रक्रिया बाधित होगी। इससे विकास कार्यों की रफ्तार पर भी असर पड़ेगा, जो चिंता का विषय है।
पंचायत सेवक के पूर्व व्यवहार पर भी उठाए सवाल
संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि मृतक पंचायत सेवक पूर्व में भी विभिन्न प्रखंडों में विवादों में रहे हैं। बगोदर प्रखंड में वे विभागीय निर्देशों की अनदेखी के आरोप में निलंबित हो चुके थे और पीरटांड़ प्रखंड में उन्होंने आत्मदाह की चेतावनी दी थी। इन परिस्थितियों को देखते हुए बीडीओ पर लगाए गए आरोपों को निराधार करार दिया गया।
इस अहम बैठक में अपर समाहर्ता विजय सिंह बिरुआ, जिला परिवहन पदाधिकारी शैलेश प्रियादर्शी, डीएसओ गुलाम समदानी और धनवार सीओ गुलजार अंजुम सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।