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'कॉफी एट चैंबर' कार्यक्रम में वित्त मंत्री ने व्यवसायियों के तीखे सवाल का किया सामना, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और लॉजिस्टिक्स नीति पर हुई खुलकर चर्चा

 

झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने "कॉफी एट चैंबर" कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें राज्य के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर व्यापारियों से आमने-सामने मिले। यह संवाद सत्र चैंबर भवन में आयोजित हुआ, जहां व्यापारियों ने राज्य सरकार की योजनाओं, नीतियों और कार्यशैली को लेकर कई जरूरी सवाल उठाए।

इस अवसर पर चैंबर अध्यक्ष परेश गट्टानी, महासचिव आदित्य मल्होत्रा, उपाध्यक्ष राहुल साबू और ज्योति कुमारी की उपस्थिति रही। चर्चा में खास जोर इस बात पर रहा कि सरकार रोजगार उन्मुख विकास (ग्रोथ विद जॉब्स) को लेकर कैसे सेक्टर-विशिष्ट डेटा आधारित रणनीति बना रही है। इसके अलावा व्यापार में सरलता लाने हेतु ईज ऑफ क्रेडिट फ्रेमवर्क, निरीक्षण प्रणाली में पारदर्शिता, क्लियरेंस प्रक्रिया में सुधार और उद्यमी साथी पोर्टल के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग भी रखी गई।

उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, रेल और पोर्ट कनेक्टिविटी, कलस्टर आधारित विकास और पीएम गतिशक्ति योजना के साथ तालमेल कर लॉजिस्टिक्स नीति लाने पर भी विचार हुआ। साथ ही, मिनरल बेस्ड इंडस्ट्री नीति, किसानों की आय बढ़ाने हेतु फॉर्म टू फैक्ट्री मॉडल और लाइसेंस प्रक्रिया को सरल करने की आवश्यकता भी जताई गई।

चैंबर अध्यक्ष ने इस वर्ष के बजट की सराहना करते हुए राज्य सरकार से मांग की कि भवन नियमितीकरण योजना को जल्द लागू किया जाए, मास्टर प्लान में संशोधन हो, बंद पड़ी खदानों को फिर से शुरू किया जाए और दिल्ली की तर्ज पर व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन किया जाए। राज्य जीएसटी सलाहकार समिति की नियमित बैठकें कराने की भी मांग की गई।

अपने संबोधन में मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि वह चैंबर से सीखने और सुझाव लेने आए हैं ताकि राज्य के विकास के लिए और बेहतर किया जा सके। उन्होंने विभागीय अधिकारियों द्वारा छोटे जिलों में व्यापारियों को परेशान करने की शिकायतों पर संज्ञान लेने की बात कही और अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक रूप से साझा कर कहा कि सीधे उन्हें सूचना दें, कार्रवाई अवश्य होगी।

मंत्री ने स्वीकार किया कि विभाग में स्टाफ की भारी कमी है और कई अफसर लंबे समय से एक ही स्थान पर तैनात हैं, जिसकी समीक्षा हो रही है। उन्होंने सिंगल विंडो सिस्टम को सशक्त बनाने के लिए 6 करोड़ रुपये बजट से आवंटित किए जाने की जानकारी दी और आश्वस्त किया कि अगले वित्तीय वर्ष में चैंबर की और मांगों को भी प्राथमिकता दी जाएगी।

उन्होंने यह भी बताया कि झारखंड ने बीते वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष 9% अधिक राजस्व संग्रह किया है, जो सरकार के प्रयासों का परिणाम है। सेकेंडरी सेक्टर की प्रगति की देशभर में सराहना हो रही है और झारखंड बीते दशक में बेहतर स्थिति में पहुंचा है।

अंत में मंत्री ने कहा कि जब वे राजनीति छोड़ेंगे, तो चाहते हैं कि जनता उन्हें एक ऐसे मंत्री के रूप में याद रखे, जिसने राज्य के लिए ईमानदारी से काम किया।