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राज्य से निकाले जायेंगे बांग्लादेशी और रोहिंग्या, विशेष टास्क फोर्स करेगी पहचान, हर जिले में बनेगा होल्डिंग सेंटर

 

झारखंड में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को राज्य से बाहर निकालने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने निर्देश जारी कर राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से प्रक्रिया समझाई है। हर जिले में विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) गठित की जाएगी, जो इन विदेशी नागरिकों की पहचान और निगरानी का काम करेगी।

हर जिले में बनेगा होल्डिंग सेंटर
केंद्र ने 2 मई को झारखंड के मुख्य सचिव को एक पत्र भेजा है, जिसमें बताया गया है कि कैसे अवैध घुसपैठियों की पहचान की जाए और उन्हें किस प्रक्रिया के तहत डिपोर्ट किया जाए। इसके तहत सभी जिलों में होल्डिंग सेंटर बनाए जाएंगे, जहां चिन्हित बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों को रखा जाएगा। वहां से पूरी जांच के बाद उन्हें बीएसएफ या कोस्ट गार्ड को सौंपा जाएगा, जो आगे उन्हें उनके देश भेजने का काम करेगा।

टास्क फोर्स करेगी पहचान और रिपोर्टिंग
राज्य सरकार को कहा गया है कि हर जिले में एसटीएफ गठित की जाए, जो इन अवैध नागरिकों की पहचान करके रिपोर्ट तैयार करेगी। यदि कोई व्यक्ति भारतीय नागरिक होने का दावा करता है, तो संबंधित राज्य सरकार को उसका नाम, माता-पिता का विवरण, पता और नजदीकी रिश्तेदारों की जानकारी सत्यापन के लिए भेजनी होगी। संबंधित राज्य या जिले को 30 दिनों के भीतर उस दावे की पुष्टि कर रिपोर्ट देनी होगी।

संथाल परगना में घुसपैठ गंभीर समस्या
झारखंड में खासकर संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ चिंता का विषय बनी हुई है। भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनावों में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में विचाराधीन है। केंद्र सरकार की ओर से अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ की स्थिति बेहद गंभीर है।

याचिका कर्ता के वकील ने जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 1951 में संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी 44.67 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 28.11 प्रतिशत रह गई। इसके पीछे प्रमुख कारण बांग्लादेशी नागरिकों की अवैध घुसपैठ मानी जा रही है।