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स्वास्थ्य विभाग में बड़ा घोटाला, ख़राब मोबाइल मेडिकल यूनिट के नाम पर तीन साल में निकाले गये 44 लाख, जानें क्या है मामला

 

स्वास्थ्य विभाग में फर्जी इलाज के लाखों रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मिलिभगत कर उस मेडिकल यूनिट के नाम पर लाखों रुपये निकाल लिये, जो दरअसल चल ही नहीं रही थी। शिकायत के बाद जब जांच टीम पहुंची, तो उनके भी होश उड़ गये, क्योंकि तीन साल में 45 लाख रुपये जिस मोबाइल मेडिकल यूनिट के नाम पर निकाले गये, वो खराब पड़ी हुई थी। अब इस मामले में अधिकारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में है।

दरअसल मोबाइल मेडिकल यूनिट खराब पड़ी थी। लेकिन, प्रति माह 25 दिनों तक ग्रामीणों का इलाज का बिल बनता रहा। 1.25 लाख रुपए का भुगतान भी होता रहा। हर साल करीब 14.70 लाख और तीन साल में 44 लाख रुपए से अ​धिक निकाल लिए गए। इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग तक पहुंची तो जांच शुरू हुई। पता चला कि मोबाइल मेडिकल यूनिट अनगड़ा प्रखंड के नारायण सोसो गांव में तीन साल से खड़ी है।

ग्रामीणों को घर पहुंच स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के लिए मोबाइल मेडिकल यूनिट बनायी गयी थी। वेलफेयर सोसायटी के बाद मोबाइल यूनिट को चलाने का जिम्मा था, कुछ दिन तो ग्रामीणों को इसका लाभ मिला, लेकिन 2019 से गांवों में यूनिट ने जाना छोड़ दिया। 2021 तक मोबाइल मेडिकल यूनिट खराब होकर पड़ी रही, लेकिन इसके नाम पर फर्जी निकासी का खेला चलता रहा। कागजों में ये मोबाइल मेडिकल यूनिट नाम सिर्फ चलती रही, बल्कि जांच और यूनिट के खर्च के नाम पैसे का भुगतान लिया जाता रहा।

हैरानी की बात ये है कि अधिकारियों ने इस मामले में सरकार को भी गुमराह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। खुद रांची के सिविल सर्जन ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि मोबाइल यूनिट संचालित की जा रही है। जांच में खुलासा हुआ है कि तीन साल में 44.72 लाख रुपये की निकासी की गयी है। अब इस मामले में सरकार और कितना बड़ा एक्शन ले सकती है, इसका पता तो कुछ दिन में चल जायेगा। दी। जब मोबाइल यूनिट के संचालक को नोटिस जारी किया गया, तो उसने बताया कि वह लगातार संचालन कर रहा था। उसकी कोई गलती नहीं है।