झारखंड के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, 'मियां-तियां' या ‘पाकिस्तानी’ कहना आपत्तिजनक लेकिन कानूनी अपराध नहीं

झारखंड के एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी को ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ कहना अपराध की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने कहा कि यह भले ही अनुचित हो, लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने जैसा अपराध नहीं माना जा सकता। इसी के साथ शीर्ष अदालत ने इस मामले में 80 वर्षीय बुजुर्ग हरि नारायण सिंह के खिलाफ दर्ज केस को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
बोकारो जिले के रहने वाले हरि नारायण सिंह पर उर्दू अनुवादक मोहम्मद शमीमुद्दीन ने आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि हरि नारायण सिंह ने उन्हें ‘मियां-तियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहकर संबोधित किया, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। इस शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज हुआ, जिसमें धारा 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करना), धारा 504 (जानबूझकर अपमान करना), धारा 506 (आपराधिक साजिश) और धारा 353 (सरकारी कर्मचारी से दुर्व्यवहार) शामिल थीं। मामले की जांच के बाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की, और जुलाई 2021 में मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते हुए समन जारी किया।

अदालतों से होती हुई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची लड़ाई
हरि नारायण सिंह ने मजिस्ट्रेट द्वारा जारी समन को चुनौती देते हुए एडिशनल सेशन जज की अदालत का रुख किया, लेकिन वहां से उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट में अपील दायर की, जहां से भी फैसला उनके पक्ष में नहीं आया। अंततः वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई के बाद बुजुर्ग को राहत दी।
सुप्रीम कोर्ट का तर्क
शीर्ष अदालत ने कहा कि हरि नारायण सिंह की टिप्पणी अनुचित हो सकती है, लेकिन यह आपराधिक मामला नहीं बनता। अदालत के इस फैसले को भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल के रूप में देखा जा सकता है।