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नकली दवाओं के खेल पर भड़की भाकपा, पलामू के सिविल सर्जन और सप्लायर पर FIR की मांग

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राज्य कार्यकारिणी सदस्य एवं पलामू जिला सचिव अजय सिंह ने एमएससीएच अस्पताल में नकली दवाओं की आपूर्ति मामले में प्रशासनिक निष्क्रियता पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यह मामला कई दिन बीत जाने के बावजूद अब तक ठंडे बस्ते में है, जो बेहद चिंताजनक है।

अजय सिंह ने बताया कि अस्पताल में जांच की गई 20 दवाओं में से 18 नकली पाई गईं, इसके बावजूद सिविल सर्जन का यह कहना कि सप्लायर नई दवाएं देकर स्थिति सुधार देगा और उसे क्लीन चिट दे देना, यह पूरे मामले को संदिग्ध बनाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब सिविल सर्जन और अस्पताल प्रशासन की मिलीभगत का परिणाम है। जब सप्लायर और गुजरात की फार्मेसी कंपनी पहले ही नकली दवाएं भेज चुकी हैं, तो उनके खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए।

उन्होंने रांची के सदर अस्पताल में कोरोना काल के दौरान ड्रग इंस्पेक्टर के ऑफिस से जब्त सैंपलों की चोरी की घटना का भी उल्लेख किया। उस समय CPI प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मिलकर ड्रग माफिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। मंत्री ने तब यह माना था कि झारखंड में बड़े पैमाने पर नकली दवाओं की आपूर्ति हो रही है और जांच कमेटी गठित की गई थी, लेकिन आज तक उस कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।

अजय सिंह ने चेतावनी दी कि राज्य के सरकारी अस्पतालों में हर दिन हजारों मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग, दवा कंपनियां, सप्लायर्स और प्रशासन मिलकर आम जनता के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इतने बड़े घोटाले के बावजूद अब तक कोई कठोर कदम न उठाया जाना प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े करता है।

CPI नेता ने मांग की है कि दोषियों — चाहे वह सप्लायर हो या अधिकारी — के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए और हेमंत सोरेन सरकार इस गंभीर मामले पर संज्ञान लेते हुए ड्रग माफिया पर सख्त कानूनी कार्रवाई करे, ताकि राज्य की जनता के स्वास्थ्य से फिर कोई खिलवाड़ न हो सके।