Movie prime

निजी स्कूलों की मनमानी पर सख्त हुआ शिक्षा विभाग, 78 स्कूलों को नोटिस जारी

झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के गृह जिला पूर्वी सिंहभूम में निजी स्कूलों की मनमानी पर जिला शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अपनाया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी और शिक्षा अधीक्षक ने जिले के 78 निजी स्कूल प्रबंधकों को नोटिस भेजा है और विभिन्न बिंदुओं पर जवाब देने का निर्देश दिया है।

स्कूलों को कल तक देना होगा जवाब
जिला शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के अध्याय-2, नियम-75 (3) के तहत स्कूल परिसर का उपयोग केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। इसके बावजूद कई स्कूल परिसर में किताबें और अन्य सामग्री (यूनिफॉर्म, जूते आदि) बेचने के लिए शिविर लगाए जा रहे हैं, जिससे अभिभावकों और छात्रों पर खरीदारी का दबाव बनाया जा रहा है।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि छात्रों या अभिभावकों को किसी विशेष दुकानदार से किताबें खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि स्कूल द्वारा निर्धारित विक्रेता के अलावा अन्य दुकानों पर यह किताबें उपलब्ध नहीं होतीं। जिला शिक्षा पदाधिकारी मनोज कुमार और जिला शिक्षा अधीक्षक आशीष कुमार पांडेय ने स्कूल प्रबंधकों से 3 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है। अगर गलत जानकारी दी गई, तो स्कूलों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा और अनियमितता मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

फीस बढ़ोतरी पर उठे सवाल, मांगी गई ऑडिट रिपोर्ट
शिक्षा विभाग ने झारखंड निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 के नियम-12 (1) (ख) का हवाला देते हुए कहा कि स्कूलों को लाभ कमाने के उद्देश्य से संचालित नहीं किया जा सकता। लेकिन ऑडिट रिपोर्ट की जांच में सामने आया है कि कई स्कूलों की आय, उनके खर्च से अधिक होने के बावजूद वे हर साल फीस बढ़ा रहे हैं।

जिला शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रबंधकों से पिछले तीन सालों की ऑडिट रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है, ताकि यह जांचा जा सके कि कहीं स्कूलों को व्यवसायिक उद्देश्य से तो नहीं चलाया जा रहा है।

फीस बढ़ोतरी की सीमा का उल्लंघन, तीन साल का रिकॉर्ड मांगा गया
शिक्षा विभाग ने झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के नियम-7अ (1) (छ) का जिक्र करते हुए कहा कि दो वर्षों में अधिकतम 10% तक ही फीस बढ़ाई जा सकती है। यदि इससे अधिक वृद्धि करनी हो, तो समिति से मंजूरी लेना आवश्यक है। लेकिन शिकायतें मिली हैं कि कई स्कूल इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं और मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं।

इसी वजह से स्कूलों को पिछले तीन वर्षों का शुल्क निर्धारण रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि विद्यालय स्तरीय फीस निर्धारण समिति का कार्यकाल तीन वर्षों के लिए तय किया गया है, लेकिन कुछ स्कूल इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। जिला शिक्षा विभाग ने इस मामले में सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं।