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अपने पुराने स्वरूप में लौटेंगी गढ़वा की जीवनदायिनी नदियां, दानरो और सरस्वती नदी में कचड़ा निस्तारीकरण का कार्य शुरू

गढ़वा जिले की दो प्रमुख नदियां, सरस्वती और दानरो, जो वर्षों से कचरे और अतिक्रमण के चलते अपना अस्तित्व खो चुकी थीं, अब फिर से अपने असली रूप में लौटने की प्रक्रिया में हैं। नगर परिषद द्वारा इन नदियों की सफाई और पुनर्जीवन के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत आधुनिक मशीनों का उपयोग कर नदियों से कचरा हटाया जा रहा है।

नदी से निकाले जा रहे कचरे का होगा पुनर्चक्रण
नगर परिषद ने इन नदियों की सफाई के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। सफाई के दौरान निकाले गए कचरे को रिसाइकल कर विभिन्न निर्माण सामग्री, खाद और मिट्टी के रूप में उपयोग किया जाएगा। इस कार्य के लिए नगर परिषद ने एक निजी कंपनी को चार करोड़ रुपये का ठेका दिया है, जिसने काम शुरू कर दिया है। अनुमान है कि अगले छह महीनों में नदियां पूरी तरह से अपने प्राकृतिक रूप में लौट आएंगी।

कभी कल-कल बहती थीं ये नदियां
करीब 25 साल पहले गढ़वा की इन नदियों में तेज बहाव के साथ पानी बहता था, जिसकी आवाजें दूर-दूर तक सुनाई देती थीं। लेकिन शहरीकरण और नगर परिषद द्वारा नदियों में कचरा डालने के कारण धीरे-धीरे ये नदियां प्रदूषित हो गईं और अस्तित्वहीन होने की कगार पर पहुंच गईं। अब नगर परिषद ने अपनी ही गलती सुधारते हुए इन नदियों को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है।

पुनर्जीवन के लिए 2.34 करोड़ रुपये का अनुबंध
नगर परिषद ने नदियों के पुनरुद्धार के लिए एक वर्ष पूर्व सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी कर ली थीं। इस परियोजना को ‘कुमार एंड कुमार’ नामक कंपनी को सौंपा गया है, जिसे 2 अगस्त 2024 को टेंडर दिया गया था। परियोजना की कुल लागत 2 करोड़ 34 लाख रुपये है। सफाई कार्य ट्रामा मशीनों की मदद से किया जा रहा है, जिससे नदियां न केवल कचरा मुक्त होंगी बल्कि प्रदूषण मुक्त भी की जाएंगी।

नगर परिषद की इस पहल से गढ़वा की इन ऐतिहासिक नदियों को नया जीवन मिलने की उम्मीद है, जिससे न केवल जल स्रोत सुरक्षित होंगे बल्कि शहर का पर्यावरण भी स्वच्छ और स्वस्थ बना रहेगा।