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रांची : योगदा सत्संग आश्रम में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गुरु पूर्णिमा उत्सव

आज यानी 21 जुलाई को योगदा आश्रम, रांची में गुरु पूर्णिमा बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। उत्सव सुबह विशेष ऑनलाइन सामूहिक ध्यान और स्वामी श्रद्धानंद गिरी के सत्संग के साथ आरंभ हुई जिसमें पूरे भारत से अनेक भक्तों ने भाग लिया। गुरु-शिष्य संबंध पर बोलते हुए स्वामी श्रद्धानंद ने श्री श्री परमहंस योगानंद के शब्दों को उद्धृत किया, "जो लोग ईश्वर को चाहते हैं और ग्रहणशील हृदय के साथ मेरे पास आते हैं फिर वे कभी भी पहले जैसे नहीं रहेंगे" स्वामीजी ने इसे समझाते हुए कहा कि, योगानन्दजी की आत्मा से प्रवाहित होती दैवीय सहायता भक्त को सदा के लिए बदल देगी। उन्होंने योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस)/सेल्फ-रियलाइज़ेशन फ़ेलोशिप (एसआरएफ) के अध्यक्ष और आध्यात्मिक प्रमुख श्री श्री स्वामी चिदानंद गिरी द्वारा वाईएसएस/एसआरएफ के भक्तों को लिखे गए पत्र के कुछ अंश भी पढ़े जहां वह उन्हें प्रोत्साहित करते हैं कि वे "गुरुदेव की शाश्वत संरक्षण में शरण लें, फिर ऐसी कोई चुनौती नहीं है जिसका वे सामना नहीं कर सकते और उससे पार नहीं पा सकते।"  
उस के बाद सुबह 9:30 से 11:30 बजे तक गुरु पूजा की गई साथ-साथ कार्यक्रम में भाग लेने वाले भक्त, ब्रह्मचारी शांभवानंद और ब्रह्मचारी प्रहलादानंद के भजनों के आनंदमय गायन में शामिल हुए। भजनों के बाद सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय लोगों और अन्य आगंतुकों को भंडारा प्रसाद खिलाया गया।
समारोह शाम को 3 घंटे लंबे विशेष ध्यान के साथ समाप्त हुआ, जहां स्वामी शंकरानंद ने परमहंस योगानंदजी द्वारा एक भक्त को लिखे गए एक प्रेरक पत्र के अंश पढ़े, जिसमें अपने निष्ठावान शिष्यों के लिए एक सच्चे गुरु की शाश्वत सहायता और प्रेम पर जोर दिया गया।